दिल्ली, नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को किया जाना है। इसे लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। कई राजनीतिक दल इस समारोह का बाहिष्कार कर रहे हैं। अब तक कुल 11 पार्टियां प्रधानमंत्री की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध कर चुकी है। उनका कहना है कि संसद भवन देश की नींव है ना कि कोई आम ईमारत इसलिए इसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाना चाहिए।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
गौरतलब है कि 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन होना है। नई चार मंजिला सीट में लोकसभा की 888 सीट और राज्यसभा की 384 सीट्स हैं। लोकसभा सचिवालय की तरफ से 18 मई को एक बयान जारी किया जाता है, जिसमें कहा गया कि आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक के तौर पर 28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसी बात को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है।
इसी कड़ी में कांग्रेस का कहना है कि इसे लेकर आपत्ति जताने एक और बड़ी वजह है। पार्टी के मुताबिक भाजपा ने नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई की तारीख तय की है, ये तिथि वीर सावरकर की जन्मतिथि है। कुछ समय पहले बीजेपी के आईटी चीफ अमित मालवीय ने एक ट्वीट किया था और लिखा – राष्ट्र के महान सपूत विनायक दामोदर सावरकर की 140वीं जयंती के अवसर पर पीएम मोदी संसद की नई बिल्डिंग का उद्घाटन करेंगे।
क्या कहता हैं संविधान?
संविधान विशेषज्ञ और संसदीय मामलों के जानकार एस के शर्मा के मुताबिक ऐसा कोई भी प्रावधान संविधान में नहीं है कि कौन इस तरह के भवन का उद्घाटन करेगा। सभी जानते हैं कि राज्यसभा, लोकसभा और राष्ट्रपति संसद के अभिन्न अंग हैं। राष्ट्रपति ही संसद का अहम हिस्सा होता हैं। ये सत्र बुलाते है.. भंग करते है। राष्ट्रपति ही बिल पास करते हैं।
उनका कहना है कि जब कभी ऐसे मामलों पर फैसले लेने की बात आती है, जिसका जिक्र संविधान में नहीं किया गया हो तो ऐसी स्थितियों में सदन पिछली परंपराओं को मानकर चलते है। आपको बता दें वैसे साल 1975 में जब संसद एनेक्सी भवन तैयार हुआ था तो उसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था वहीं 1987 में संसद पुस्तकालय का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किया गया था। इसी कड़ी में बीजेपी का कहना है कि जब कांग्रेस की सरकार के मुखिया उद्घाटन कर सकते हैं तो उनकी सरकार के मुखिया क्यों नहीं कर सकते हैं।