उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के मोदीनगर से हैरान कर देने वाला एक मामला सामने आया है जिसने तहसील प्रशासन के पूरे सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। आखिर किस प्रकार से महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच पड़ताल लेखपालों द्वारा की जाती है और किस तरह से लेखपालों द्वारा रिश्वत खोरी का मकड़जाल फैलाया हुआ है। दस्तावेज कैसे भी हो बस आप हरी हरी नोटों की पत्तियां फेंकिए और जो मर्जी रिपोर्ट लगवा लिजिए सभी कामों के अलग अलग दाम तय हैं।
आपने लोगों को ये कहते जरूर सुना होगा कि इस दुनिया में समय से बड़ा कोई बलवान नहीं होता है लेकिन इस लेखपाल ने तो समय को भी मात दे दी। बता दें कि एक मृत व्यक्ति जिसको गुज़रे अरसा हो गया और ग्राम पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान ने व्यक्ति की मृत्यु की पुष्टि करते हुए सर्टिफिकेट जारी भी कर दिया हो उसके बावजूद मृतक की वार्षिक आय 48 हजार रुपए सालाना का प्रमाण पत्र जारी कर दिया वो भी पूरी जांच के बाद। बात अभी यहीं खत्म नहीं हुई है लेखपाल ने बकायदा निवास प्रमाण पत्र जारी करते हुए ये पुष्टी भी कि है की वह आज भी पहले वाले पते पर रहता है।
अभी यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई है लेखपाल ने बकायदा निवास प्रमाण पत्र जारी करते हुए ये पुष्टी भी कि है की वह आज भी पहले वाले पते पर रहता है। जब हमारी टीम ने लेखपाल के आफिस मे जा कर लेखपाल से बात करनी चाही तो आफिस में लेखपाल तो नहीं मिले। लेकिन उनकी गैर मौजूदगी में दो लोग ऐसे मिले जिनका तहसील परिसर में कोई रिकार्ड़ ही मोजूद नहीं है। उसके बावजूद इनही लोगो के दवारा सभी सरकारी दस्तावेजों पर रिपोर्ट लगाई जा रही है। अब आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि आपके दस्तावेज कितने महफूज है।