प्रदेश में नगर निगम चुनाव हो रहे हैं चुनाव के बीच में कई पार्टियों के प्रत्याशी दल बदल रहें है वहीं लखनऊ नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ गयी हैं जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस कई जिताऊ प्रत्याशियों ने चुनाव के समय पार्टी से अगल रास्ता चुना लिया था इस बार फिर से कांग्रेस को झटका लगा तीन जिताऊ पार्षद पार्टी छोड़ गए हैं। इसमें एक तो लगातार के पांच बार के पार्षद थे और दो दूसरी बार की दावेदारी में थे। कांग्रेस के अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा और इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि चुनाव प्रचार में शहर के नेता प्रचार करते नहीं दिख रहे। ऐसे में कांग्रेस विपक्षियों से लड़ने की जगह आपस मे ही जूझ रही है इस बार आंकड़े बनाये रखना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा।
लखनऊ नगर निगम 2017 चुनाव में 110 सीटों में महज 8 सीटों पर ही कांग्रेस पार्षद जीते थे, इन 8 पार्षदों में तीन ने पार्टी छोड़ दी है जिसके बाद कांग्रेस नगर निगम सदन में अब कितनी मजबूत होगी ये चर्चा हो रही है। ओम नगर के पार्षद राजेंद्र सिंह गप्पू और राजाबाजार वार्ड की पार्षद शहनाज की कोरोना के दौरान मृत्यु हो गयी थी तो गोपालगंज-पीरजलील वार्ड के पार्षद मोहम्मद हलीम तीन साल पहले ही कांग्रेस छोड़ के सपा में चले गए थे। जो पांच पार्षद बचे हैं, उनमें से भी दो ने नामांकन से पहले कांग्रेस का दामन छोड़ दिया। इसमें पांच बार के गिरीश मिश्रा भाजपा में शामिल हो गए तो वहीं दूसरी बार दावेदारी कर रहे अमित चौधरी बसपा में चले गए। ऐसे में 110 प्रत्याशियों में कांग्रेस के महज तीन ऐसे पार्षद हैं जो सिटिंग पार्षद हैं।
पांच बार जीत दर्ज करने वाले कांग्रेसी पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान ने थामा था BJP का हाथ
2017 नगर निगम चुनाव में हजरतगंज वार्ड से लगातार पांच बार जीत दर्ज करने वाले कांग्रेसी पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान भाजपा में चले गए थे उनके साथ उनकी बहन भी भाजपा में चली गयी थी, वह भी कांग्रेस के निशान पर राजा राममोहन राय वार्ड से लगातार चार बार पार्षद रहीं थी। राजेंद्र नगर वार्ड से लगातार चार बार के पार्षद राजू दीक्षित भी कांग्रेस छोड़ भाजपा के साथ चल दिये थे। यह सभी कांग्रेस का साथ छोड़ने का बाद फिर से चुनाव जीते थे। इस बार चुनाव के दौरान भी ये सभी भाजपा में हैं और भाजपा ने इन पर एक बार फिर भरोसा करते हुए टिकट दिया है।