ब्रिटिश राज के दौरान दिल्ली में जन्मे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने रविवार को दुबई में अंतिम सांस ली। मुशर्रफ के परिवार की आज भी पुरानी दिल्ली में पुश्तैनी हवेली है। उनके बचपन के भी कुछ साल दिल्ली की गलियों में ही बीते थे। साल 2001 में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफ भारत दौरे पर आए थे। वह अपनी हवेली वाली गलियों को देखकर भावुक हो गए थे। वह काफी देर तक अपने बचपन की जगह को निहारते रहे। इस दौरान पाकिस्तान की सर्वोच्च शख्सियत ने हवेली में रहने वाले अपने कई बुजुर्ग रिश्तेदारों से भी आगे बढ़कर बातचीत की और उन्हें गले भी लगाया था।
जीवनी इन दलाइन ऑफ फायर- अ मेमॉयर’ में लिखा कि…
बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुआ था। 1947 में भारत विभाजन के कुछ दिन पहले ही उनका पूरा परिवार पाकिस्तान का फैसला किया था। उनके पिता पाकिस्तान सरकार में काम करते थे। वहीं 1998 में परवेज मशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारते के खिलाफ कारगिल जैसे युद्ध की साजिश रची, लेकिन भारत के बहादुर सैनिकों ने उनकी हर चाल पर पानी फेर दिया। अपनी जीवनी इन दलाइन ऑफ फायर- अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाया ।
वहीं 1920 के दशक की शुरुआत में जन्मीं मुशर्रफ की मां जरीन लखनऊ में पली-बढ़ी थीं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भी वहीं से हासिल की थी। जरीन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन किया। परवेज के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट थे। अंग्रेज सरकार के दौरान वह सिविल सर्वेंट बन गए थे। उनका परिवार शुरू से ही सरकारी नौकरियां करता रहा है। सैयद के परदादा टैक्स कलेक्टर थे और नाना जज।
4 साल की उम्र में छोड़ा देश
बंटवारे के समय 1947 में परवेज मुशर्रफ अपने परिवार सहित पाकिस्तान चले गए और वहां बड़े नौकरशाह बन गए। उस समय मुशर्रफ की उम्र महज 4 साल थी।
उनके पिता सैयद नई पाकिस्तान सरकार के लिए काम करने लगे। बाद में वह पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के साथ जुड़े। फिर 1949 में वह पाकिस्तान के तुर्की स्थित दूतावास चले गए। इसी वजह से मुशर्रफ अपने परिवार के साथ कुछ समय के लिए तुर्की में रहे। जहां उन्होंने तुर्की भाषा बोलनी सीखी।
करीब दस साल बाद यानी 1957 में इनका परिवार फिर पाकिस्तान लौटा। जहां परवेज की स्कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई। कॉलेज की पढ़ाई लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चन कॉलेज में हुई। मुशर्रफ का सबसे प्रिय विषय गणित था। बाद में उन्होंने अर्थशास्त्र में रुचि लेनी शुरू की। फिर 1961 में 18 साल के मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए। 1964 में पाकिस्तानी सेना की तोपखाना रेजिमेंट में नियुक्त हुए।
2001 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने
अक्टूबर 1998 में मुशर्रफ को जनरल का ओहदा मिला। वह सैन्य प्रमुख बन गए। साल 1999 में सैन्य तानाशाह मुशर्रफ ने बिना खून बहाए ही तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ की सरकार का तख्ता पलट कर दिया। इसके बाद खुद पाकिस्तान की बागडोर संभाल ली। वह 20 जून 2001 से लेकर 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन रहे।
7 अगस्त 2008 के दिन पाकिस्तान की नई गठबंधन सरकार ने परवेज मुशर्रफ पर महाभियोग चलाने का फैसला किया। 11 अगस्त 2008 के दिन संसद ने मुशर्रफ को राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए महाभियोग की कार्यवाही शुरू कर दी। बाद खुद मुशर्रफ ने अपने पद से 7 दिन बाद इस्तीफा सौंप दिया।