नई दिल्ली। पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ है। हर तरफ हर दिल में तिरंगा और देश प्रेम का गीत गुनगुना रहा है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने संबोधन में ‘पंच प्राण’ का जिक्र किया।
पीएम मोदी ने लोगों से कहा कि हमें आजादी के अमृत काल में बड़े लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। साथ ही हमें विकसित भारत, गुलामी को पूरी तरह मिटाने, विरासत पर गर्व करने, एकता और एकजुटता बनाने और हर नागरिक के भारत के प्रति कर्तव्यों के पंच प्राण रूपी शक्ति का संकल्प धारण करने चाहिए।

गर्व और सम्मान के साथ हमारा तिरंगा लहरा रहा
इसी बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशी में दुनियाभर में फैले देशवासियों को बधाई दी। साथ ही उन्होंने तिरंगा हमारा मान सम्मान का प्रतीक है और आज दुनिया के कोने-कोने में गर्व और सम्मान के साथ हमारा तिरंगा लहरा रहा है।
वहीं उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत काल नए संकल्प और सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ने का अवसर है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने आजादी के अनगिनत क्रांतिकारियों को याद करते हुए कहा कि अंग्रेजों की नींव हिलाने वालों के प्रति राष्ट्र कृतज्ञ है।

विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा
उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा है। लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इससे निपटने के लिए हमारे पास वो विरासत है जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है।
पीएम ने कहा कि हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।

मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है। आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है। ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।
अमृतकाल में पीएम मोदी का ये है ‘पंच प्राण’ रूपी संकल्प
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के अमृतकाल को राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें पांच प्रतिज्ञाओं पर अपनी शक्ति, संकल्प और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। उन्होंने भारत को लोकतंत्र की जननी करार देते हुए कहा कि विविधता ही इसकी ताकत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 के लिए पांच प्रण में विकसित भारत बनाना, दासता के किसी भी निशान को हटाना, विरासत पर गर्व, एकता और अपने कर्तव्यों को पूरा करना शामिल है। उन्होंने युवाओं से देश के विकास के लिए अपने जीवन के अगले 25 वर्ष समर्पित करने का आग्रह करते हुए कहा कि हम पूरी मानवता के विकास की दिशा में काम करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं।
प्रधानमंत्री ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें ‘पंच प्रण’ पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि देश अब बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत। प्रधानमंत्री ने दूसरा प्रण बताते हुए कहा कि किसी भी कोने में मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश है, तो उससे हमें मुक्ति पानी ही होगी। हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने एकता और एकजुटता के अलावा नागरिकों के कर्तव्यों को भी इसमें जोड़ा।
उन्होंने कहा कि अमृतकाल का पहला प्रभात समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने का सुनहरा अवसर है। हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है।
प्रधानमंत्री ने देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को बधाई देते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वाले तात्या टोपे, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान आदि स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही रानी लक्ष्मी बाई और बेगम हजरत महल सहित भारत की महिला सेनानियों को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। प्रधानमंत्री ने इस कड़ी में राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल सहित अन्य राष्ट्र निर्माताओं को भी श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया के कोने-कोने में भारत से प्यार करने वाले भारतीयों द्वारा गर्व से तिरंगा फहराया जा रहा है।