प्रतापगढ़ के नवोदय विद्यालय में आज फिर सुबह नौ बजे छात्रों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने प्रिंसिपल के ट्रांसफर की मांग की। इस मामले की जानकारी मिलते ही एसडीएम लालगंज सीओ सदर पुलिस बल के साथ कालेज पहुचें और छात्रों को समझाने में जुट गए। लेकिन छात्र प्रिंसिपल के ट्रांसफर की जिद पर अड़े रहे। वहीं अमेठी नवोदय स्कूल के प्राचार्य भी मामले की जांच के लिए मौके पर पहुचें। इस दौरान एक बार फिर कॉलेज प्रशासन व छात्रों के बीच समझौता पत्र तैयार किया गया। जिसके बाद छात्र एक बार फिर हॉस्टल वापस गए।
जिद पर अड़े रहे छात्र
बता दें कि नवोदय विद्यालय में छात्रों ने कल एसडीएम लालगंज की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर किया और हॉस्टल चले गए। बावजूद इसके सुबह नौ बजे वह फिर प्रिंसिपल कार्यलय के सामने धरने पर बैठ गए और प्रिंसिपल के ट्रांसफर की मांग करने लगे। इस बात की जानकारी होते ही एसडीएम लालगंज सौम्य मिश्र व सीओ सदर पवन त्रिवेदी मय फोर्स के स्कूल पहुंचकर एक बार फिर से छात्रों को समझने के प्रयास में जुट गए। लेकिन छात्र कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए। वह नवोदय विद्यालय संगठन के कमिश्नर या डिप्टी कमिश्नर को बुलाने की जिद पर अड़े रहे। जिसके बाद एसडीएम ने नवोदय के उच्चाधिकारियों से बात की तो आननफानन में अमेठी व जौनपुर नवोदय विद्यालय के प्रिंसिपल को मामले की जांच के लिए भेज दिया।
छात्रों ने क्यों किया आंदोलन
वहीं विद्यालय पहुंच कर दोनों प्रिंसीपलों ने छात्रों से बातचीत कर लिखित अस्वासन दिया कि जांच के बाद यदि प्रिंसिपल दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कार्यवाई की जाएगी। वहीं छात्र जांच के लिए पहुंचे दोनों प्रिंसिपल को अपनी चोटें दिखा कर शिकायत करते नजर आए। साथ ही प्रिंसिपल के ट्रांसफर की जिद पर अड़े रहे। हालांकि लिखित समझौते के बाद छात्रों का समूह हॉस्टल को रवाना हो गया। बड़ा सवाल ये है कि जब कल एसडीएम की मौजूदगी में लिखित समझौता हो गया था और छात्र आंदोलन खत्म कर हॉस्टल को रवाना हो गए तो रात में वो कौन था जिसने पुनः छात्रों को आंदोलन करने को प्रेरित किया। प्रिंसिपल कोई स्थानीय व्यक्ति नहीं कि किसी छात्र से उसकी निजी रंजिस हो सके और छात्रों को प्रताड़ित करें।
उठे कई सवाल
सवाल ये भी है कि मौजूदा प्रिंसिपल से कहीं उनके स्टाफ की ही तो कोई खुन्नस तो नहीं। हो सकता है कि विद्यालय में सप्लाई किए जाने वाले सामानों की जिम्मेदारी उठाने वाले स्टाफ को प्रिंसिपल का हस्तक्षेप बर्दास्त न हो रहा हो और उसने ही इन छात्रों को भड़का कर आन्दोलन के लिए तैयार किया हो। क्योंकि इस आंदोलन को हवा देने के लिए वो नेता भी सक्रिय हो गए जो बिना नफा नाजायज के आगे नहीं बढ़ते है। फिलहाल इस सवाल का उत्तर तो विस्तृत जांच के बाद ही खुलकर सामने आएगा।