पंजाब और हरियाणा के किसान एक बार फिर से केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ लामबंद होने लगे है। इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन 24 से अंबाला में रेल का चक्का जाम का ऐलान कर चुका है। अब भारतीय किसान यूनियान ग्रुप चंडीगढ़ में आंदोलन की रुपरेखा और तरीखों का ऐलान करेगा। किसान नेता आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मामलों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि भारतीय किसान यूनियान ने दावा किया है कि सरकार अपने वादे पर खरी नहीं उतरी है। अभी तीनों कृषि आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुदमों में 35 केस अभी भी रद नहीं किए गए हैं। मजबूरी में फिर से भाकियू को किसानों के हितों की रक्षा के लिए आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ रहा है। किसानों नेताओं के दावों के विपरीत हरियाणा सरकार का कहना है कि आमदोलन के दर्ज हुए मुकदमे वापस ले लिए गए है।
अब तक 264 केस रद किए जा चुके हैं। सराकर की ओर से दावा किया गया है कि 164 केस ऐसे हैं जिनकी सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। कोर्ट की ओर से 98 मामलों को रद करने के लिए मंजूरी दे दी है। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक फिर से किसान आंदोलन शुरु करने के पक्ष में है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस तो ले लेकिन अभी किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया है। हरियाणा में राज्य और केंद्र सरकार जातिवाद फैलाने का काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि किसान आंदोलन दोबारा शुरू करते हैं तो वह उनका साथ देंगे।