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SC: ‘तारीख पे तारीख’ और कितनी तारीख, “आप बहस नहीं करेंगे तो हम फैसला सुनाएंगे’’ बोले जस्टिस चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के इंतजार में 4.5 करोड़ केस लंबित पड़े है। आंकड़ों के मुताबिक अगर इसके बाद कोई नया मामला दर्ज नहीं होता तो भी सुप्रीम कोर्ट को सभी बचे मामलों को निपटाने में 1.3 वर्ष का समय लगता। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में चल रही एक सुनवाई के दौरान वकीलों ने अगली तारीख मांगी तो न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भड़क उठे। “हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बने।” दरअसल न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान वकील ने बहस करने के लिए समय मांगा। पीठ ने कहा कि “हम सुनवाई को स्थगित नहीं करेंगे। अधिक से अधिक हम सुनवाई टाल सकते हैं।  मामले पर बहस आज ही करनी होगी। हम नहीं चाहते कि उच्चतम न्यायालय ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बन जाए। हम इस धारणा को बदलना चाहते हैं।”

चंद्रचूड़ ने ‘दामिनी’ का संवाद दोहराया

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ‘दामिनी’ फिल्म के एक चर्चित संवाद को दोहराते हुए दीवानी अपील में एक हिंदू पुजारी की ओर से पेश वकील से कहा कि ‘यह शीर्ष अदालत है और हम चाहते हैं कि इस अदालत की प्रतिष्ठा बनी रहे।’ ‘दामिनी’ फिल्म में अभिनेता सनी देओल ने मामले में लगातार स्थगन और नई तारीख दिए जाने पर आक्रोश प्रकट करते हुए ‘तारीख पे तारीख’ वाली बात कही थी। पीठ ने कहा कि न्यायाधीश मामले की फाइल पढ़ने में इतना समय लगाते है। वकील आते हैं और स्थगन की मांग करते हैं।

वहीं इसके बाद पीठ ने सुनवाई रोक दी। जब बहस करने वाले वकील मामले में पेश हुए तो पीठ ने अपील में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। एक अन्य मामले में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक वकील के खिलाफ एक उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी को यह कहते हुए हटाने से इनकार कर दिया कि उच्च न्यायालय को अदालत कक्ष में अनुशासन बनाए रखना होता है। शीर्ष अदालत के लिए उनके गैर पेशेवर आचरण पर उन टिप्पणियों को हटाना उचित नहीं होगा।

SC निष्प्रभावी होता जा रहा

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने पर पीठ नाराज हो गई और कहा कि इस याचिका में मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती। अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए शीर्ष अदालत जाने के अधिकार से संबंधित है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “इस तरह के तुच्छ मुकदमों के कारण उच्चतम न्यायालय निष्प्रभावी होता जा रहा है। अब समय आ गया है कि हम एक कड़ा संदेश दें अन्यथा चीजें मुश्किल हो जाएंगी। इस तरह की याचिकाओं पर खर्च किए गए हर 5 से 10 मिनट एक वास्तविक वादी का समय ले लेता है, जो वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहा होता है।”

अब इस मामले पर बहस करें

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक कनिष्ठ वकील से कहा था कि “अब आप हमारे लिए वरिष्ठ वकील हैं। हम आपको दोपहर के लिए यह पदनाम देते हैं। आइए अब इस मामले पर बहस करें। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम आपके साथ उदार रहेंगे।” न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि “यदि आप बहस नहीं करते हैं, तो हम फैसला सुनाएंगे क्योंकि हमने न्याय करने के लिए संविधान की शपथ ली है।” कनिष्ठ वकील ने स्थगन का अनुरोध करते हुए कहा था कि उनके वरिष्ठ वकील दूसरी अदालत में बहस कर रहे हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा था कि उच्चतम न्यायालय में विभिन्न पक्षों के वकील के बीच एकमात्र समानता यह है कि वे स्थगन के लिए सहमत रहते हैं।

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