उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन भविष्य निधि (सीपीएफ) ट्रस्ट एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है निर्वाचित कार्मिक ट्रस्टियों को हटाए जाने के बाद हो रहे विरोध को लेकर, जोकि सीपीएफ खाताधारकों के ट्रस्ट से जुड़ा हुआ मामला है।
यूपी पावर कारपोरेशन सीपीएफ ट्रस्ट की क्या है संरचना
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में कर्मचारियों के भविष्य निधि के लिए ट्रस्ट बना है। इस ट्रस्ट में 6 ट्रस्टी, एक सचिव और पदेन अध्यक्ष होता है। जिसमें तीन ट्रस्टी कार्मिकों की तरफ से निर्वाचित होते हैं और तीन ट्रस्टी नियोक्ता विभाग यानी पावर कारपोरेशन की तरफ से तैनात किए जाते हैं और कर्मचारियों के भविष्य निधि से जुड़े किसी भी मामले को सर्वसम्मति या फिर बहुमत के आधार पर इस ट्रस्ट से तय किया जाता है। बता दें कि ज्यादातर मामलों में यूपी पावर कारपोरेशन चेयरमैन यूपी पावर कारपोरेशन भविष्य निधि ट्रस्ट का भी पदेन अध्यक्ष होता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के लाखों कर्मचारियों का भविष्य निधि का पैसा ट्रस्ट में जमा होता है, इसी वजह से यह ट्रस्ट फिर सुर्खियों में आ गया है।
यूपीपीसीएल के सीपीएफ ट्रस्टी हटाए जाने का क्या है विवाद
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के भविष्य निधि ट्रस्ट से दो निर्वाचित कर्मिक ट्रस्टियों को अवैधानिक रूप से हटाने के आरोप अध्यक्ष पर लग रहे हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ट्रस्ट चेयरमैन ने दो अन्य ट्रस्टियों बीना दयाल और विकास उपाध्याय को नामित कर ट्रस्ट में शामिल कर लिया। जिसमें यूपी पावर कारपोरेशन ट्रस्ट नियमावली 2004 का हवाला भी दिया गया है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश हैं, जिसमें प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के हड़ताल के दौरान के निलम्बन आदेश को आधार मानते हुए 2 निर्वाचित कर्मिक ट्रस्टियों जयप्रकाश और चंद्र भूषण उपाध्याय को ट्रस्ट से बाहर कर दिया गया है।
निर्वाचित कार्मिक ट्रस्टियों को निलंबित बताते हुए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन भविष्य निधि नियमावली 2004 के नियम संख्या 5 के बिंदु संख्या 2 का हवाला देते हुए निर्वाचित ट्रस्टियों को हटाकर दो नए ट्रस्टियों को तैनात कर दिया है। हालाकी पूरे मामले पर हटाए गए दोनों ट्रस्टियों ने चेयरमैन यूपीपीसीएल अंशदाई भविष्य निधि ट्रस्ट को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि उनको नियम विरुद्ध हटा दिया गया है। जबकि ऐसा नियम नहीं है ट्रस्टियों ने 19 मई 2023 के आदेश को समाप्त कर दोनों ट्रस्टियों को फिर से शामिल करने की मांग की है और ट्रस्टियों ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ट्रस्ट नियमावली 2004 के नियम का हवाला दिया है। जिसमें कार्मिक ट्रस्टी को हटाने के लिए नियमावली का पालन ना करने के आरोप लगाए हैं।
ट्रस्टियों के अनुसार दूसरे विभाग में स्थानांतरण, मृत्यु अथवा सेवानिवृत्ति या फिर त्यागपत्र देने पर ही ट्रस्टियो को हटाया जा सकता है और साथ ही निर्वाचित कार्मिक ट्रस्टी को अयोग्यता के लिए बोर्ड आफ ट्रस्टीज की संस्तुति और पूर्व अनुमोदन पर ही हटाने की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सकता है। जबकि यह दोनों नियम ट्रस्टियों को हटाने में पालन नहीं किए गए, जिस को आधार बनाते हुए हटाए गए ट्रस्टी जयप्रकाश और चंद्रभूषण उपाध्याय ने पावर कारपोरेशन चेयरमैन को पत्र लिखकर आदेश को वापस लेने की मांग की है।
यूपीपीसीएल क्या बता रहा निर्वाचित ट्रस्टों को हटाने की वजह है
उत्तर प्रदेश में विभिन्न मांगों को लेकर पावर कारपोरेशन के कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान बड़े पैमाने पर निलंबन की कार्यवाही हुई थी, जिसमें सीपीएफ ट्रस्ट के दो ट्रस्टी जयप्रकाश और चंद्रभूषण उपाध्याय भी शामिल थे, जिनको हड़ताल किए जाने के चलते निलंबित किया गया था उसी निलंबन के आधार पर ट्रस्ट से भी हटा दिया गया है जिसमें पावर कारपोरेशन ट्रस्ट नियमावली 2004 का हवाला दे रहा है
हटाए गए ट्रस्टीज के गंभीर आरोप
यूपीपीसीएल के डीएचएफएल के पीएफ घोटाले में भी ट्रस्ट की भूमिका थी संदिग्ध, जिसमें पावर कारपोरेशन को करीब 2267 करोड़ का हुआ था नुकसान, नियम विरुद्ध डीएचएफएल में निवेश करने के बाद कर्मचारियों का भविष्य निधि का पैसा फस गया है, हटाए गए ट्रस्टियों का आरोप है कि अगर कार्मिक ट्रस्टियों को इस तरह नियम विरुद्ध हटाया जाता है तो फिर इस तरीके की कोई घटना ट्रस्ट में हो सकती है, जिस वजह से कार्मिक ट्रस्टियों की तत्काल बहाली की जानी चाहिए
सीबीआई कर रही है यूपीपीसीएल के पीएफ घोटाले की जांच
केंद्रीय जांच एजेंसी उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के 22:00 सौ करोड़ से ज्यादा के पीएफ घोटाले की जांच कर रही है जिसमें बड़े पैमाने पर कार्यवाही भी हुई है उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के तत्कालीन कई अधिकारी और ट्रस्ट से जुड़े कर्मी जेल में है, करीब 17 लोग गिरफ्तार हुए थे और डीएचएफएल मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है, ऐसे में हटाए गए ट्रस्टी ने भविष्य में होने वाली अनियमितता को लेकर भी आशंकाएं जताई हैं, क्योंकि पूर्व में जब डीएचएफएल में बड़े पैमाने पर विद्युत कर्मियों के भविष्य निधि का पैसा लगाया गया तब भी ट्रस्ट की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे थे, पूरे मामले को लेकर सीबीआई जांच भी कर रही है, ऐसे में किसी ट्रस्टी को हटाने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं