नई दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022’ को मंजूरी प्रदान कर दी। विधेयक राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (एनआरटीआई) एक डीम्ड-टू-विश्वविद्यालय को एक स्वायत्त केंद्रीय विश्वविद्यालय (गति शक्ति विश्वविद्यालय) में बदलना है।
विधेयक को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को लोकसभा में पेश किया। विधेयक केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन करेगा। इस विधेयक के तहत इस यूनिवर्सिटी के दायरे को भी बढ़ाया जाएगा। पहले यह रेलवे मामलों तक ही सीमित था, लेकिन अब इसमें पूरे ट्रांसपोर्ट सेक्टर और इस क्षेत्र में हो रहे सभी आधुनिक विकास कार्यों को पढ़ाया जाएगा और इस दिशा में रिसर्च किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि गति शक्ति विश्वविद्यालय की स्थापना के चलते रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परिवहन क्षेत्र में आ रहे नए बदलावों के लिए टैलेंट की आपूर्ति हो सकेगी। इसके साथ ही इस क्षेत्र में फैलाव और इसमें विकास के लिए जरूरी चीजों की पूर्ति होगी। इस संशोधन से देश परिवहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, जिसमें स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे प्रोग्राम शामिल किए जाएंगे।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते और जवाब देते हुए कहा कि गति शक्ति विश्वविद्यालय बनाने के पीछे का मकसद रिसर्च और नालेज में दुनिया के सामने कंपटिशन करना है।
रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विधेयक से स्थानीय स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा। नतीजतन, हमें आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और रेलवे तथा परिवहन से संबंधित महंगी नवीन टेक्नोलॉजी, उपकरण और उत्पाद देश में ही बनाए जाएंगे। इसके तहत जरूरी रिसर्च भी किए जा सकेंगे, जिसके आधार पर इन जरूरतों की पूर्ति हो सकेगी। उन्होंने कहा कि गति शक्ति विश्वविद्यालय में परिवहन, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन से संबंधित विभिन्न विषयों में उच्च गुणवत्ता वाली टीचिंग, अनुसंधान और स्किल डेवलपमेंट की शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।
विधेयक का बीजू जनता दल, बसपा, शिवसेना सहित विभिन्न पार्टियों ने समर्थन किया। चर्चा के दौरान कांग्रेस और डीएमके के सांसद नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की कार्रवाई का विरोध करते रहे है। इसके बाद सत्र को स्थगित किया गया और सत्र के दोबारा शुरू होने पर उन्होंने इसमें भाग नहीं लिया।
इस दौरान कुछ सांसदों ने विश्वविद्यालय को विस्तार दिए जाने और इसके अन्य राज्यों में कैंपस बनाने का आग्रह किया ताकि अन्य राज्यों को लाभ मिल सके।
क्यों पड़ी इस विश्वविद्यालय की जरूरत
दरअसल सरकार की महत्वाकांक्षी 100 लाख करोड़ रुपये वाली पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के आधार पर इस संस्थान का नाम रखा गया है। गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत 16 मंत्रालयों को एक साथ एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा, जिसमें भारतमाला, सागरमाला, अंतर्देशीय जलमार्ग, ड्राई एंड लैंड पोर्ट्स और उड़ान जैसी बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लागू किया जाना है।