खूंटी। आमतौर पर माना जाता है कि बुढ़ापा खुद और दूसरों के लिए भी बोझ है, लेकिन यदि मनुष्य नियमित दिनचर्या संयमित जीवन व्यतीत करे, तो बुढ़ापा का भी आनंद लिया जा सकता है। यह कहना है तोरपा प्रखंड की रहने वाली 106 वर्षीय वृद्धा वीगन देवी का। मूल रूप से खूंटी जिले के जोगी सोसो जोगी सोसो गांव की रहने वाली वीगन देवी अपनी नियमित दिनचर्या और संयमित खानपान के कारण आज भी अपना सभी काम खुद करने में सक्षम है। 106 के बाद भी उनकी आंखों पर कभी चश्मा नहीं चढ़ा।
इस उम्र में भी वह सुई में धागा डाल लेती हैं। अपनी दैनिक क्रिया के लिए वह कभी दूसरों का सहारा नहीं लेती। वीगन देवी कहती हैं कि वह कितने साल पहले बीमार पड़ी थी, उन्हें याद ही नहीं है। वह बताती हैं कि हर दिन सुबह छह बजे वह स्नान करती है और एक दिन भी बिना स्नान के नहीं रहती। वीगन देवी के पति गोंदा सिंह वन विभाग के कर्मचारी थे। वीगन देवी के तीन पुत्रों में दो पुत्रों फीरन सिंह और भोला सिंह की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक बेटा शिव नारायण सिंह वन विभाग का सेवानिवृत्त कर्मचारी है। उनकी दोनों बेटियां भी काफी स्वस्थ हैं। वीगन की सबसे छोटी बेटी 68 वर्षीय मीना देवी बताती है कि उनका सबसे बड़ा भाई उनसे 20 वर्ष बड़े थे। अभी जिंदा होते तो वे 88 वर्ष के होते, लेकिन मां के रहते दो-दो बेटे गुजर गये। उनकी बड़ी बहन मीला की उम्र लगभग 80 साल है। वह अपनी पांच पीढ़ियों को देख चुकी है।
सौ वर्ष के बाद फिर से काले होने लगे सिर के बाल
वीगन देवी की बेटी मीना देवी बताती हैं कि उनकी मां के सिर के बाल सौ वर्ष के बाद फिर से काले होने लगे। मीना बताती है कि 68 वर्ष में उसके सिर के बाल पूरी तरह सफेद हो चुके हैं, लेकिन 106 वर्ष की उनकी मां के बाल अब भी काले हैं। वह कहती है कि पांच-छह साल पहले उनकी मां के बाल पूरी तरह सफेद हो गये थे, लेकिन सौ वर्ष की उम्र के बाद सिर के बाल और आखों की भौंहें काले होने लगे।
1952 में पहले लोकसभा से लेकर अब तक चुनाव में मतदान करने वाली एकमात्र जीवित मतदाता
वीगन देवी खूंटी जिले की शायद एकमात्र जीवित मतदाता हैं, जिन्होंने 1952 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा और हर पंचायत चुनाव में वोट डाला है। उन्होंने कहा कि जब सविधान ने हमें मतदान का अधिकार दिया है, तो इसका प्रयोग जरूर करना चाहिए। वह अब भी बिना किसी सहारे के मतदान केंद्र तक पैदल जाकर वोट डालती है। पिछले पंचायत चुनाव में भी उन्होंने मतदान किया था।
मंडप में फेरे के बाद लावा चुनकर खा रही थी
वीगन देवी बताती है कि उनकी शादी लगभग चार-पांच वर्ष की अवस्था में कर दी गयी थी। उस समय पता ही नहीं था कि शादी और ससुराल क्या होती है। उन्होंने बताया कि मंडप में फेरे के बाद वह वहां पड़े धान के लावा को चुन-चुनकर खा रही थी, जिसे देखकर लोग हंसने लगे थे।