सुभाषा मुखिया ओमप्रकाश राजभर आज अपने जिलाध्यक्ष स्व0 राम जी राजभर के पुण्यतिथी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने जातिवाद खत्म करने की बात कही उन्होंने मंच से बोलते हुए कहा कि हम तो जाति विहीन समाज की स्थापना चाहते हैं हम सरकार से कहना चाहते हैं कि जिस दिन सरकार तहसीलों से जाति प्रमाण पत्र बनाना बंद कर दे उसी दिन जातिवाद खत्म हो जाएगी।
आज देश में दोहरी शिक्षा नीति चल रही है…
बाबा साहब अंबेडकर ने तिन बात कही थी प्यास नहीं तो पानी को किसने बांटा ,शिक्षा को किसने बांटा, जाति नहीं तो जाति किसने बनाया । यह तीन डायलॉग बाबा साहब के हैं। आज देश में दोहरी शिक्षा नीति चल रही है अमीर के बेटे को अलग शिक्षा और गरीब के बेटे को अलग शिक्षा आज शिक्षा को अगर एक कर दो जिससे अमीर का और गरीब का बेटा भी पढ़ लिख कर कुछ बने। जब नौकरी के लिए एग्जाम देना होता है तो प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाला और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बेटे का पेपर एक आता है सरकारी वाला फेल हो जाता है और प्राइवेट वाला पास हो जाता है।
मेरी बात गलत होगी तो विधानसभा से इस्तीफा दे दूंगा-ओमप्रकाश राजभर
आज मैं दूसरी बार एमएलए बना हु विधायक बने हुए 6 साल 1 महीना हो चुका है 11 करोड़ 12 लाख रुपया गरीबों के लिए इलाज हेतु दिया है। पता कर लीजिएगा अगर मेरी बात गलत होगी तो विधानसभा से इस्तीफा देकर चला जाऊंगा। इसको लेकर विधानसभा के अंदर मुख्यमंत्री को भी करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि आवश्यकता उत्पत्ति की जननी है और इस को कोई रोक नहीं सकता है। सरकार बीजेपी की है और हम सोचे कि अपराधियों को बढ़ा देंगे तो नहीं बढ़ा सकते। कल सपा की सरकार होगी और बीजेपी चाहे बढ़ा दे तो नहीं बढ़ा सकती। हर सरकार चाहती है कि प्रदेश में अमन और चैन रहे। यह बात अलग है कि जब चुनाव आ जाता है तो हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी बात करने लगती है।
इस दौरान गाजीपुर के सदर विधायक के द्वारा शाइस्ता परवीन और अफ्शा अंसारी को अपराधी नहीं होने की बात कही थी इस पर उन्होंने कहा कि वह बेहतर जानते होंगे इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है क्योंकि विधायक जी हैं तो उन्हें बेहतर जानकारी होगी।
आप लोग सिर्फ मुद्दा भटकाना चाहते हैं- ओमप्रकाश
इस दौरान जब नंद गोपाल नंदी के द्वारा सपा नेता के भाजपा में आगमन को लेकर जंग छेड़ने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आप लोग सिर्फ मुद्दा भटकाना चाहते हैं आप लोग किसान मजदूर बेरोजगारी के मुद्दे पर कभी बात नहीं करते हैं कभी इस मुद्दे पर डिबेट नहीं करते हैं।