एक कश्मीरी यासीन मलिक, जिसने अपने ही कश्मीर को जहन्नुम बनाया. जो ना जाने कितने बेगुनाहों की मौत का जिम्मेदार है. जिसने हिंदुस्तान की पीठ पर खंजर भोंकने के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाया. ये कहानी है एक गद्दार की, जिसने आतंक से नेता तक का सफर तय किया. पहले हाथों में हथियार उठाया और फिर लोकतंत्र के नाम पर कश्मीर को दहशतगर्दी की आग में झोंक दिया. श्रीनगर के एक गरीब परिवार में जन्मे यासीन मलिक ने कॉलेज में एंट्री के साथ ही वो रास्ता अपनाया, जिसके जख्म आज भी कश्मीर की घाटियों में देखे जा सकते हैं.
बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष NIA न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। टेरर फंडिंग का दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक आजीवन कारावास में रहेगा।
अदालत ने यासीन मलिक पर लगाए गए 10 लाख 75 हजार रुपये के जुर्माने को स्पष्ट किया है। कोर्ट ने कहा कि यासीन मलिक ने साल 2015 में जहूर वताली से 10 लाख रुपये की धनराशि ली थी जिसका इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए किया गया है। इसलिए जितनी धनराशि आतंक फैलाने के लिए ली थी, उतना ही धनराशि का जुर्माने के तौर पर भुगतान करना होगा।
पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने शाम करीब छह बजे अपना निर्णय पढ़ना शुरू किया। दस मई को टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। मलिक ने अदालत से कहा था कि वह उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आतंकी यासीन मलिक के मृत्युदंड की मांग करते हुए आजीवन कारावास की सजा पर संतोष जताया है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने दो टूक कहा कि ‘ऐसे देशद्रोहियों को मृत्युदंड मिलना चाहिए। पर संतोष है कि नए भारत में यह भी संभव हो सका है। अन्यथा जिन लोगों को दशकों तक कांग्रेस पार्टी तथा उसके जैसे अन्य दलों ने न सिर्फ पाल पोसकर बड़ा किया, बल्कि भारतीय करदाताओं के पैसे से उन्हीं के विरूद्ध काम करने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में लाजमी है कि शासन-सत्ता नहीं बदलती तो न्याय नहीं मिल पाता। इसके लिए मोदी सरकार साधुवाद की पात्र है। विहिप प्रवक्ता ने कहा कि इन जैसों की जड़े कितनी गहरी है इसका पता इस फैसले पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया और कश्मीर में पत्थरबाजी की घटना से समझा जा सकता है। ऐसे में अभी आगे बहुत कुछ करने की आवश्कता है। यासीन मलिक के साथ-साथ इससे जुड़े जो गुर्गे हैं, जो अलगाववाद की फैक्टि्रयां चला रहे हैं। उनपर भी कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है’।
भारतीय दंड संहित की धारा 121 के तहत एनआइए ने यासीन मलिक को मृत्युदंड की मांग की थी। जिस पर न्याय मित्र ने अदालत से कहा कि धारा 121 मे दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड का प्रविधान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार मृत्युदंड केवल दुर्लभ मामलों में ही देना चाहिए। जिसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई।
कोर्ट ने कहा कि धन आतंकवादी गतिविधि चलाने के लिए रीढ़ का काम करता है। पाकिस्तानी संस्थानों, हाफिज सईद और हवाला व अन्य माध्यमों के जरिये फंड जुटाया गया और उसका इस्तेमाल लोगों को उकसाने, पत्थरबाजी करने, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पूरी घाटी में ¨हसक गतिविधियों को बढ़ावा देने और सुरक्षा बलों पर हमला करने में किया गया। विशेष न्यायाधीश ने कहा कि मेरी नजर में यह वर्तमान समय का सबसे गंभीर अपराध है।