Rohini Acharya Bihar News: अपनी किडनी दान कर परिवार के प्रति अपना समर्पण दिखाया था, ने अब राजनीति छोड़ने और परिवार से अपने संबंध तोड़ने का ऐलान किया है। इससे पहले, तेज प्रताप यादव ने भी अपने परिवार और आरजेडी से दूरी बनाने की बात कही थी। दोनों ने ही तेजस्वी यादव और पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं की आलोचना की है, जिससे यह संकेत मिलता है कि परिवार के अंदर असंतोष और तनाव अब सार्वजनिक रूप ले चुका है। यह किस्सा न केवल व्यक्तिगत झगड़ों को दर्शाता है, बल्कि लालू यादव परिवार और पार्टी के भविष्य के लिए भी चिंता का विषय बन चुका है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह अंदरूनी खींचतान और तनाव पार्टी की एकता पर असर डाल सकता है और आगामी राजनीति पर भी प्रभाव डाल सकता है।
भरोसेमंद संजय यादव को कारण बताया
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद बिहार की राजनीति में जबरदस्त हलचल मची हुई है। खासतौर पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अंदर ही अस्थिरता और तनाव बढ़ गया है। चुनाव से पहले ही पार्टी और परिवार के बीच मतभेदों की खबरें सुर्खियों में थीं, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद स्थिति और भी तेज हो गई है।
शनिवार को ऐलान किया है कि वह अब राजनीति छोड़ेंगी और अपने परिवार से संबंध तोड़ेंगी। यह फैसला न सिर्फ उनके व्यक्तिगत जीवन का संकेत है, बल्कि पार्टी और परिवार के भीतर चल रही खींचतान और टूटन को भी उजागर करता है। यह लालू यादव परिवार और आरजेडी की राजनीति के भविष्य के लिए एक बड़ा संकेत है, जो संगठनात्मक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
रोहिणी आचार्य के इस बड़े फैसले के बाद
यह खबर राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने इस मामले को परिवार का आंतरिक मामला बताया है, जो पार्टी के अंदरूनी मुद्दे को दर्शाता है। वहीं, बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “परिवार बनाम परिवार” की भविष्यवाणी अब सही साबित हो रही है, और आरजेडी का अंदरूनी संकट खुलकर सामने आ गया है।
आरजेडी सूत्रों के अनुसार, अभी तक लालू यादव और राबड़ी देवी ने तेजस्वी यादव पर संजय यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का दबाव नहीं डाला है, जिसकी वजह से ही रोहिणी आचार्य का अचानक फट जाना माना जा रहा है। इस घटनाक्रम को पार्टी के अंदर एक भावनात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें रोहिणी ने अपने परिवार से नाता तोड़ने का बयान देकर अपने माता-पिता को संदेश देने की कोशिश की है। यह घटनाक्रम पार्टी के भीतर और बाहर दोनों तरफ राजनीतिक माहौल को गरमाने वाला माना जा रहा है।
पारिवारिक तनाव से पार्टी पर भी असर
रोहिणी आचार्य ने अपने बयान में यह आरोप लगाया है कि संजय यादव और रमीज के दबाव में उन्हें यह फैसला लेना पड़ा, जो पार्टी के अंदर चल रही खींचतान और तनाव की तस्वीर को उजागर करता है। इस बयान से न केवल उनका व्यक्तिगत संघर्ष स्पष्ट होता है, बल्कि यह भी संकेत मिलता है कि आरजेडी के भविष्य के लिए संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन 25 सीटों पर सिमट जाना न केवल एक राजनीतिक असफलता है, बल्कि कार्यकारी कमजोरियों, नेतृत्व की अस्पष्टता और परिवारिक विवादों का भी परिणाम है। तेजस्वी यादव का चेहरा होने के बावजूद, नतीजों ने साबित कर दिया कि उनकी अपील सीमित है और पार्टी की व्यापक समर्थन प्राप्त करने में चुनौतियां हैं।
साथ ही, लालू परिवार के भीतर चल रहे तनाव ने पार्टी को कमजोर किया है। टिकट बंटवारे और राजनीतिक रणनीति को लेकर आए विवाद इस टूटन को और गहरा कर रहे हैं। रोहिणी आचार्य का यह तल्ख बयान इसी अंदरूनी टूटफूट का खुलासा करता है और पार्टी के भविष्य के लिए चिंता में डालने वाला संकेत है।










