Bilkis Bano Case : गुजरात सरकार ने अपने शक्ति का दुरुपयोग किया- सुप्रीम कोर्ट

Bilkis Bano Case: Gujarat government misused its power - Supreme Court

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने  बिलकिस बानो गैंगरेप (Bilkis Bano Case) मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई  मामले में गुजरात सरकार के फ़ैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, कि गुजरात सरकार को फैसले लेने का कोई हक नहीं है। मामले की सुनवाई जब महाराष्ट्र में हुई है, तो सारे अधिकार महाराष्ट्र सरकार के पास है। क्योंकि ऐसा ही नियम है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कोई भी सजा अपराध रोकने केलिए दी जाती है। कोर्ट ने कहा  बिलकिस बानो के दोषियों को दो हफ्तों में सरेंडर करना होगा।

गुजरात दंगे में हुए थे परिवार पर हमला

गौरतलब है कि गुजरात के गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़के दंगे के दौरान कुछ दंगाइयों ने बिकलिस का गैंगरेप किया। उस समय वो 5 महीने की गर्भवती थी। उनके साथ साथ उनकी माँ और तीन अन्य महिलाओं का भी रेप हुआ था। इसके साथ साथ उसके परिवार पर हमले भी हुए थे। जिसमें उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई जबकि परिवार के 6 लोग लापता हो गए। इस समय बिलकिस की उम्र सिर्फ 21 साल थी। दंगे में परिवार के सिर्फ 3 लोग ज़िंदा बचे थे।

महाराष्ट्र के फैसले पर गुजरात सरकार का हस्तक्षेप

मामले को लेकर 2008 में सीबीआई की स्पेसल कोर्ट ने मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसे 15 अगस्त 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा से पहले ही रिहा कर दिए गए थे। जिसके बाद 30 नवंबर 2022 को दोषियों के रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थी। जिसपर आज फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने कहा गुजरात सरकार ने अपनी शक्तियों क गलत उपयोग किया है। उन्हे यह अधिकार नहीं।

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मामले में कब क्या हुआ

28 फरवरी को गुजरात में दंगे हुए।

3 मार्च 2002 को (Bilkis Bano Case )बिलकिस का गैंगरेप और परिवार पर हमला हुआ।

2004 में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर मामले की सुनवाई के लिए केस को मुंबई ट्रांसफर कर दिया।

21 जनवरी 2008 को दोषियों को उम्र कैद की सजा।

15 अगस्त 2023 को गुजरात सरकार द्वारा  दोषियों को रिहा कर दिया गया।

30 नवंबर सुप्रीम कोर्ट में रिहाई के खिलाफ अर्जी।

8 जनवरी 2024 को मामले की सुनवाई और फैसले में दोषियों का सजा बरकरार।

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