नई दिल्ली में जी20 सम्मेलन के पहले ही दिन भारत ने तीन बड़ी कामयाबियां हासिल की है। आईए सबसे पहले जानते हैं वो तीन कामयाबियां क्या हैं:-
1. इंडिया, मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर पर डील को मंजूरी
2. नई दिल्ली घोषणापत्र को मंजूरी मिली
3. भारत ने अफ्रीकी यूनियन को नए स्थायी सदस्य के रूप में जी-20 में शामिल किया ।
जिसके बाद से अब इसे G-20 नहीं बल्कि G-21 कहलाया जाएगा। आपको बता दें कि भारत द्वार हासिल की गई ये तीन कामयाबियां में से जिसकी चर्चा पूरी भारत में हो रही है वो है इंडिया, मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर पर डील को मंजूरी मिलना। यानी भारत, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, जापान, सऊदी अरब और UAE के लीडर्स ने इस इकोनॉमिक कॉरिडोर पर MoU साइन किया है। वहीं इस प्रोजेक्ट में शामिल देश अगले 60 दिनों में एक एक्शन प्लान डेवलप करने के लिए मिलेंगे।
बता दें कि इस कॉरिडोर के दो हिस्से होंगे। पहला, पूर्वी कॉरिडोर भारत को मिडिल ईस्ट से जोड़ेंगे। दूसरा, उत्तरी कॉरिडोर मिडिल ईस्ट को यूरोप से जोड़ेंगे।
जानिए आखिर कॉरोडोर से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं
कॉरिडोर के बाद कनेक्टिविटी बढ़ेगी। आर्थिक विकास के साथ-साथ एशिया, अरब खाड़ी क्षेत्र और यूरोप के बीच आर्थिक एकीकरण में मदद मिलने की उम्मीद है। इस प्रोजेक्ट में रेलवे नेटवर्क भी शामिल हैं। इसके पूरे हो जाने पर ये रेल नेटवर्क, मौजूदा समुद्री और क्षेत्रीय सड़क रास्तों से अलग एक विश्वसनीय और किफायती ट्रांजिट नेटवर्क उपलब्ध करेगा।
इस कॉरिडोर में शामिल देश बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल और क्लीन हाइड्रोजन एक्सपोर्ट के लिए पाइप बिछाने की भी योजना बना रहे हैं।
नौकरिया भी मिलेंगी
कॉरिडोर से रीजनल सप्लाई चेन बेहतर होगी और ऐसे में व्यापार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इस प्रोजेक्ट में शामिल देशो का मानना है कि कॉरिडोर से लागत घटेगी, आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, नौकरियां पैदा होंगी और ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन घटेगा। बता दें कि यह घटनाक्रन एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है क्योंकि G20 साझेदारों में शामिल विकासशील देशों के लिए वाशिंगटन को एक वैकल्पिक साझेदार और निवेशक के रूप में पेश करके अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन वैश्विक बुनियादी ढांचे को लेकर चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला करना चाहते हैं।
जानिए आखिर क्या है उद्देश्य
आर्थिक गलियारे की घोषणा से पहले अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि इसका उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलने से जोड़ना और उन्हे बंदरगाह के माध्यम से भारत से जोड़ना है, जिससे शिपिंग समय, लागत और ईर्धन के इस्तेमाल में कटौती करके खाड़ी से यूरोप तक ऊर्जा और ट्रेड फ्लो में मदद मिलेगी।
फाइनर ने कहा था कि अमेरिका की नजर से यह समझौता पूरे क्षेत्र में तापमान कम करेगा और जहां हम देखते हैं, टकराव से निपटने में मदद मिलेगी. रेल एंड शिपिंग कॉरिडोर देशों को उर्जा उत्पादों समेत ज्यादा व्यापार के लिए सक्षम बनाएग।