Aparna Yadav: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता अपर्णा यादव ने गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बातचीत की, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश महिला आयोग में उपाध्यक्ष पद मिलने के बाद अपनी असंतुष्टि जाहिर की। सूत्रों के अनुसार, अपर्णा यादव इस पद से खुश नहीं हैं और उन्होंने इस बाबत अमित शाह से चर्चा की। बताया जा रहा है कि अपर्णा यादव ने गृह मंत्री से अपनी तकलीफ साझा की और इस पद को लेकर अपनी नाखुशी व्यक्त की।
सूत्रों का दावा है कि गृह मंत्री ने अपर्णा यादव की पूरी बात ध्यान से सुनी और इस पर विचार करने का आश्वासन दिया। फिलहाल, अपर्णा यादव दिल्ली में हैं और उनकी नाराजगी को लेकर भाजपा के भीतर चर्चा गर्म है।
महिला आयोग उपाध्यक्ष पद पर नाखुश अपर्णा यादव
मंगलवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देशानुसार अपर्णा यादव को उत्तर प्रदेश महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि, उन्हें यह पद उनके कद के अनुरूप नहीं लग रहा है। अपर्णा को उम्मीद थी कि उन्हें इससे अधिक महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा। इसके बाद उन्होंने सपा नेता और अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से भी मुलाकात की थी, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे भाजपा छोड़ने की तैयारी कर रही हैं।
भाजपा का स्पष्टीकरण
Aparna Yadav की नाराजगी की खबरों के बीच, भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि ऐसी कोई स्थिति नहीं है और अपर्णा सोमवार को अपना पदभार ग्रहण करेंगी। उन्होंने बताया, “अपर्णा एक समर्पित कार्यकर्ता हैं और पार्टी की विचारधारा के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने चुनावों में भी पार्टी का समर्थन किया है और आगे भी हमारे साथ रहेंगी।” शिवपाल और अपर्णा की मुलाकात पर भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है।
अपर्णा यादव का यादव परिवार से अलग होना
Aparna Yadav, समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू हैं और 2011 में प्रतीक यादव से विवाह के बाद यादव परिवार का हिस्सा बनीं। अपर्णा ने सपा की विचारधारा के साथ शुरुआत की और राजनीति में सक्रिय रहीं। लेकिन 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
अपर्णा के भाजपा में शामिल होने को यादव परिवार के लिए एक बड़ा झटका माना गया, क्योंकि उनके ससुर मुलायम सिंह यादव और अन्य प्रमुख यादव नेता समाजवादी पार्टी के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। Aparna Yadav का भाजपा में शामिल होना उनके वैचारिक बदलाव का संकेत था, क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की नीतियों की खुलकर तारीफ की थी, खासकर स्वच्छता अभियान और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर।
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अपर्णा ने कहा था कि वह देश और समाज के हित में काम करना चाहती हैं और भाजपा में उन्हें इस दिशा में अधिक अवसर नजर आ रहे थे। उनकी इस नई राजनीतिक यात्रा को यादव परिवार के साथ उनके वैचारिक मतभेदों का नतीजा भी माना गया। हालांकि, उनके भाजपा में जाने के बाद भी उन्होंने परिवार के साथ व्यक्तिगत रिश्तों को बनाए रखा, लेकिन राजनीति में उनकी राह अलग हो चुकी थी।