Eid Festival : देशभर में आज ईद-उल-अजहा यानि बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है। ईद-उल-फितर के बाद यह मुस्लिम समुदाय का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। सुबह से ही देशभर की मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए मस्लिमों की भीड़ उमड़ रही है।
देशभर में आज ईद-अल-अजहा (बकरीद) मनाई जा रही है। इस मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े त्योहारों में से एक, बकरीद को लेकर सुरक्षा व्यवस्था देशभर में कड़ी की गई है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, 12वें महीने की 10 तारीख को बकरीद का त्योहार मनाया जाता है, जो रमजान के 70 दिन बाद आता है। सुबह से देशभर के मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। मुंबई में सुबह-सुबह, लोग माहिम की मखदूम अली माहिमी मस्जिद में ईद-उल-अज़हा की नमाज़ अदा की।
वहीं नोएडा की जामा मस्जिद में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम लोगों ने नमाज अदा की। इसी तरह की तस्वीरें दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद, और बेंगलुरु जैसे तमाम शहरों से आ रही हैं।
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क्या है ईद उल-अजाह का महत्व ?
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि पैगंबर हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) से ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी। अल्लाह ने एक बार पैगंबर इब्राहिम से कहा था कि वे अपने प्यार और विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज़ का त्याग करें, और इसलिए पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौते बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का फैसला किया था।
वहीं ऐसा माना जाता है कि जब पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को मारने के लिए तैयार थे, उसी समय अल्लाह ने अपने दूत को भेजकर इस्माइल को बकरे से बदल दिया था। इस प्रकार, बकरी ईद अल्लाह के पैगंबर इब्राहिम के विश्वास को स्मरण करने के लिए मनाई जाती है।
क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी ?
ईद-उल-अजहा को हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। इस दिन इस्लाम धर्म के लोग एक जानवर की कुर्बानी देते हैं, जिसे हलाल तरीके से कमाए हुए पैसों से किया जाता है। वहीं कुर्बानी वाले जानवर का गोश्त अकेले अपने परिवार के लिए नहीं रखा जा सकता है, बल्कि इसे तीन हिस्सों में बाँटा जाता है। इसमें पहला हिस्सा गरीबों और जरूरतमंद लोगों के लिए होता है। दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए अलग रखा जाता है। और तीसरा हिस्सा अपने घर के लोगों के लिए होता है।