Hathras Kand: 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में 121 लोगों की भगदड़ (Hathras Kand) की वजह से मौत हो गई लेकिन इन मौतों पर अभी तक सवाल कायम हैं। आखिर दोषी कौन है?
SIT के जांच के बाद अधिकारियों और सिपाहियों पर भले कार्रवाई हुई लेकिन बाबा अभी भी बचे हुए दिखाई देते हैं। ऐसे में कुछ लोगों को उम्मीद सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से थी आज वो भी खत्म हो गई।
2 जुलाई को हुआ था हाथरस कांड
जुलाई का महीना उत्तर प्रदेश के लिए काला दिन लेकर आया 2 जुलाई को 121 लोग एक साथ काल के मुंह में समा गए वो अब कभी नहीं लौटेंगे। लेकिन सवाल ये है कि क्या उन्हें हम न्याय भी नहीं दिला सकते हैं आप कहेंगे कैसा न्याय सरकार ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा दे दिया है। फिर क्या कैसा न्याय चाहिए असली न्याय तब होगा जब असली दोषी को सज़ा मिलेगी और असली दोषी कौन है?
वही व्यक्ति जिसने भोले-भाले लोगों को अंधविश्वास के जाल में फंसा लिया। उन्हें मूर्ख बनाया खुद को भगवान बताया और चरणधूल लेने के लिए कहा जिसकी वजह से भगदड़ मच गई और 121 मासूम लोगों की जान चली गई। उसकी कल तक सांसे अटकी हुई थीं लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने उसे राहत दे दी।
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जनहित याचिका पर कोर्ट ने की सुनवाई
आपको बता दें कि हाथरस भगदड़ (Hathras Kand) मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई से इनकार कर दिया है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि आप सीधे अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट क्यों आए?
अनुच्छेद 32 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय में जाने का अधिकार है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी को लगता है कि उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, तो वह राहत के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
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उसी के तहत हाथरस मामले को लेकर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा याचिकाकर्ता की मांग थी कि हाथरस भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाकर मामले की जांच हो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हर चीज जनहित याचिका के रूप में नहीं आनी चाहिए घटना को लेकर आप हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं वे मजबूत अदालतें हैं बेशक यह एक परेशान करने वाली घटना है।
करीब 300 पेज की थी SIT रिपोर्ट
आपको बता दें कि इस घटना के बाद योगी सरकार ने SIT जांच कराई SIT ने करीब 300 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें 119 लोगों के बयान लिए गए थे, SIT ने DM हाथरस आशीष कुमार और SP निपुण अग्रवाल से लेकर सत्संग की अनुमति देने वाले SDM और CO सिकंदराराऊ 2 जुलाई सत्संग की ड्यूटी में लगे पुलिस कर्मियों के बयान भी दर्ज किए थे। जिसके बाद SDM CO समेत 6 सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन बाबा को क्लीन चिट मिल गई।
ना नेता बाबा के खिलाफ बोल रहे हैं, ना जांच रिपोर्ट बाबा के खिलाफ बोल रही है, आखिर बाबा पर इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है? आज हर आम जनता पूछ रही है वहीं सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया हालांकि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट जा सकता है।