Hindenburg : आज किसको डूबोएगा हिंडनबर्ग? एक पोस्ट ने भारतीय अमीरों की रोकीं सांसे

Hindenburg Research Report: हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले साल जनवरी में अडानी समूह के बारे में एक ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसने शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया था। अब ऐसा लगता है कि वे इस मामले में एक नई जानकारी के साथ सामने आने वाले हैं।

Hindenburg : करीब डेढ़ साल पहले भारत के प्रमुख कारोबारी समूहों में से एक अडानी ग्रुप के खिलाफ सनसनीखेज रिपोर्ट लाकर सुर्खियों में आई हिंडनबर्ग एक बार फिर चर्चा में है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारत में एक नया खुलासा किया है। इसके बाद से ही अटकलों का बाजार गर्म है।

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Hindenburg के अपडेट के बाद अटकलें तेज

हिंदनबर्ग रिसर्च ने भारतीय समय के अनुसार शनिवार सुबह करीब 5:30 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक छोटा सा अपडेट शेयर किया। अमेरिकी फर्म ने बस इतना ही लिखा- भारत, जल्द ही कुछ बड़ा आने वाला है। शेयर होते ही यह अपडेट चर्चा का केंद्र बन गया। सुबह 9:30 बजे तक एक्स पर हिंडनबर्ग के इस अपडेट को डेढ़ लाख से ज्यादा व्यू मिल चुके थे और करीब साढ़े चार हजार बार इसे रीपोस्ट किया जा चुका था।

अडानी पर पिछले साल आई थी रिपोर्ट

Hindenburg के इस अपडेट के बाद लोग कयास लगा रहे हैं कि अब इसका नया शिकार कौन बनने वाला है। पिछले साल की शुरुआत में हिंडनबर्ग रिसर्च का नाम भारत में तब चर्चा में आया था, जब उसने उस समय भारत और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के कारोबारी समूह के खिलाफ एक विवादित रिपोर्ट जारी की थी। हिंडनबर्ग रिसर्च ने उस रिपोर्ट में अडानी समूह पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए थे, जिसमें शेयर की कीमतों में हेरफेर से लेकर कारोबार में गलत तरीके अपनाने जैसे आरोप शामिल थे।

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अडानी को हुआ था 86 अरब डॉलर का नुकसान

पिछले साल जनवरी में आई उस Hindenburg रिपोर्ट के बाद अडानी समूह मुश्किल में आ गया था। डेढ़ साल बाद भी अडानी समूह हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से हुए नुकसान की पूरी तरह भरपाई नहीं कर पाया है। रिपोर्ट की वजह से अडानी समूह के सभी शेयरों की कीमतें गिर गईं। कई शेयर एक महीने से भी ज्यादा समय तक लगभग हर दिन लोअर सर्किट को छू रहे थे। उस समय समूह को बाजार पूंजीकरण में 86 अरब डॉलर का भारी नुकसान उठाना पड़ा था।

अभी तक आरोप साबित नहीं 

हालांकि, हिंडनबर्ग रिसर्च के सभी आरोपों को अडानी समूह ने पूरी तरह खारिज कर दिया था और इसे भारत पर हमला बताया था। बाद में बाजार नियामक सेबी ने हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच शुरू की, जिसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा था। अभी तक हिंडनबर्ग द्वारा अडानी के खिलाफ लगाए गए एक भी आरोप साबित नहीं हो पाए हैं। इस वजह से कई लोग यह मानने लगे हैं कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने जानबूझ कर अडानी समूह को निशाना बनाया और इसमें उसके निहित स्वार्थ थे।

Hindenburg पर प्रतिबंध लगाने की मांग 

भारतीय यूजर्स खास तौर पर शॉर्ट सेलर फर्म के नए अपडेट पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। कुछ यूजर्स तो यहां तक ​​मांग कर रहे हैं कि भारत सरकार को हिंडनबर्ग रिसर्च के एक्स हैंडल को भारत में प्रतिबंधित कर देना चाहिए, क्योंकि अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म सनसनी फैलाकर लोगों को नुकसान ही पहुंचाती है।

खैर, अब देखना यह है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के पिटारे से क्या निकलने वाला है और अडानी के बाद अगला नंबर किसका होगा।

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