नई दिल्ली : इस समय मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से एक मामला सामने आया है जहां पर एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के ने एक-दूसरे से शादी करने का निर्णय कर किया था। लेकिन परिवार के विरोध के चलते दोनों शादी के लिए मैरिज ऑफिस नहीं जा सके। उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में शादी रजिस्टर कराने के लिए अपील की।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक मामला सामने आया है जिसमें उच्च न्यायालय ने खुद ही शादी को अवैध घोषित कर दिया। दरअसल, मध्य प्रदेश का रहने वाला हिंदू-मुस्लिम कपल एक दूसरे से बेहद प्यार करता था सीलिए उन्होंने एक दूसरे से शादी करने की तारीख पक्की कर ली थी लेकिन फिर परिवार वालों के विरोध के चलते वो शादी वाले दिन मैरिज ब्यूरो नहीं जा पाए।
इसके जलते वो अपनी शादी को रजिस्टर कराने के लिए मैरिज रजिसट्रार ऑफिस पहुंचे। दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की अपील की थी इसके बाद उन्होंने अपनी शादी को वैध करार दिलाने के लिए कोर्ट द्वारा रजिस्टर कराने की भी मांग की थी लेकिन कोर्ट की तरफ से उनकी इस मांग को ठुकराकर उनकी शादी को अवैध घोषित कर दिया गया।
कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा की मांग पर फैसला सुनाते हुए जोड़े को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के के बीच विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अवैध है। न्यायाधीश गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने 27 मई को पारित आदेश में यह कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, एक मुस्लिम लड़के का हिंदू लड़की से विवाह वैध नहीं होता। चाहे विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत हो, वह वैध नहीं होगा और यह एक अनियमित (फ़ासिद) विवाह माना जाएगा।