Lok Sabha Election 2024: देश में मुसलमानों के हितों की सच्ची बात कौन करता है? यह सवाल लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के दौरान मुस्लिमों के लिए आरक्षण को लेकर चल रही चर्चा के बीच उठ रहा है. वोटिंग चरणों के बीच गुरुवार (26 अप्रैल) को बीजेपी ने एक बार फिर कांग्रेस पर मुसलमानों को सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
बीजेपी का यह भी आरोप है कि कांग्रेस बहुसंख्यकों के हितों को दांव पर लगाकर मुस्लिम हितों की बात करती है. इस पर यह सवाल उठता है कि कांग्रेस मुसलमानों के हितों को लेकर कितनी गंभीर है और क्या मुस्लिम समुदाय वास्तव में भाजपा की ओर आकर्षित हो रहा है.
पीएम मोदी की वायरल तस्वीरें
लोकसभा चुनाव से पहले और उसके दौरान प्रधानमंत्री मोदी की कई तस्वीरें सामने आईं, जिन पर चर्चा हुई। इनमें मुस्लिम समुदाय, विशेषकर बोहरा समुदाय के साथ बातचीत, क्रिकेट विश्व कप फाइनल में भारत की हार के बाद ड्रेसिंग रूम में मोहम्मद शमी को गले लगाना, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं के साथ शुभकामनाओं का आदान-प्रदान और कश्मीरी बच्चों से मुलाकात शामिल थी। ये तस्वीरें सवाल उठाती हैं कि आखिर देश में मुसलमानों के हितों की वकालत कौन करता है?
क्या भाजपा के साथ मुस्लिम आबादी?
एक रिसर्च के मुताबिक, 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को 4% मुस्लिम वोट मिले थे. हालांकि, 2014 के चुनाव में यह बढ़कर 8% हो गया. ऐसा माना जाता है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भी इसी तरह की प्रवृत्ति बनी रही, जिसमें लगभग 8% मुसलमानों ने भाजपा को वोट दिया. ये आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिम वोट कुछ हद तक बीजेपी की ओर शिफ्ट हो गए हैं.
मुसलमानों का सच्चा हितैषी कौन?
क्या सबसे लंबे समय तक केंद्र की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस वाकई मुसलमानों की हिमायती है? चुनाव के दौरान पार्टी ने मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा आगे रखा है. या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों के प्रति सहानुभूति रखते हैं? दावा किया जा रहा है कि अब मुसलमान भी मोदी के साथ आ रहे हैं.
सवाल उठते हैं कि मुस्लिमों के प्रति हमदर्दी का दावा करने वाली बीजेपी ने कौन से फैसले लिए हैं. माना जाता है कि मुस्लिम आबादी को बीजेपी के करीब लाने में मोदी सरकार की नीतियों ने अहम भूमिका निभाई है. पहले पांच वर्षों में सरकार ने इस समुदाय के लिए 22,000 करोड़ रुपये की विभिन्न योजनाएं शुरू कीं. सरकार ने कानून बनाकर तीन तलाक को खत्म कर दिया और हज कोटा बढ़ाकर 2 लाख कर दिया. इन फैसलों का असर मुस्लिम मतदाताओं पर भी पड़ा है.
“मोदी हमारे भाईजान हैं”- मुस्लिम महिलाएं
प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ सुनने के लिए एकत्र हुईं कुछ मुस्लिम महिलाएं उन्हें अपना भाई बताती हैं. वे तीन तलाक को खत्म करने के फैसले को याद करते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल ने उनके लिए वह नहीं किया जो प्रधानमंत्री मोदी ने किया है. मुसलमानों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता की तस्वीरें इस बात की पुष्टि करती हैं कि वह क्षेत्र, उम्र और विचारधारा की सीमाओं से परे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और विशेषकर अरब जगत के मुस्लिम देशों के नेताओं के बीच संबंधों की जो गर्मजोशी और गहराई देखी गई, उसने वैश्विक कूटनीति में भारत का कद बढ़ाया है. माना जा रहा है कि देश के भीतर भी प्रधानमंत्री मोदी की छवि को नए आयाम मिले हैं.
मुस्लिम वोटरों के बीच भाजपा की छवि
प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशन में बीजेपी हाल के वर्षों में मुसलमानों के बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है. हाल के दिनों में, भाजपा ने मुस्लिम समुदाय के विभिन्न वर्गों से जुड़ने के लिए विभिन्न अभियान चलाए हैं. कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, और भाजपा की अल्पसंख्यक शाखा ने देश भर में मुस्लिम समुदाय के भीतर लगभग 23,000 संवाद कार्यक्रम आयोजित किए हैं.
इन कार्यक्रमों के माध्यम से देश भर में लगभग 1500 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश के सभी संसदीय क्षेत्रों में 18 लाख से ज्यादा मोदी समर्थक जुटे हुए हैं. “ना दूर है ना खाई है, मोदी हमारा भाई है” जैसे नारों के साथ बीजेपी मुस्लिम समुदाय को प्रधानमंत्री मोदी के साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है.