Lok Sabha Election 2024: मिर्जापुर एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही आपको ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई वेब सीरीज मिर्जापुर याद आ जाती होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं इस नाम का सियासी गलियारों में अपना एक अलग ही रुतबा रहा है। कई जुल्म और कई यातानाएं झेलने वाली फूलन देवी के नाम से भी कहीं-कहीं मिर्जापुर के बारे में बताया जाता है।
फूलन देवी को लेकसभा सीट (Lok Sabha Election 2024) से मिर्जापुर में दो बार सांसद बनने का मौका मिला था। वह इस सीट से दो बार सांसद चुनी गई थी। फूलन देवी के अलावा उमाकांत मिश्रा, अजीम इमाम और वीरेंद्र सिंह के साथ-साथ अनुप्रिया पटेल को मिर्जापुर ने दो बार प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है।
कौन है अनुप्रिया पटेल?
चलिए जब बात मिर्जापुर की राजनीति को लेकर हो ही गई है, तो क्यों न इस बार हैट्रिक लगाने के तीसरी बार इस सीट से पर्चा दाखिल करने वाली अनुप्रिया पटेल के इतिहास के बारे में ही जान लिया जाए। एक कॉलज शिक्षिका से अपने करियर की शुरूआत करने वाली अनुप्रिया पटेल कैसे राजनीति में आई और आते ही कैसे अपना वर्चस्व लहरा दिया।
अनुप्रिया पटेल सोने लाल पटेल की बेटी हैं। पढ़ाई में ज्यादा रुचि रखने वाली अनुप्रिया पटेल उस दिन से राजनीति में आने की अपनी छाप छोड़ गई थी, जब पहली बार साल 2009 में अपने पिता सोने लाल पटेल द्वारा स्थापित पार्टी अपना दल के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था।
2009 में अनुप्रिया का पहला संबोधन
शोक सभा में सोने लाल को श्रद्धांजलि देने आए पार्टी के कई नेता उस वक्त अनुप्रिया पटेल की कही गई बातों को सुनकर भांप गए थे, कि ये अपना दल पार्टी के लिए कुछ नया करेंगी। सोने लाल की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाने के बाद शोक सभा में दिया गया अनुप्रिया पटेल का भाषण थोड़ा उग्र था, लेकिन पार्टी के गिरे मनोबल को उठाने के लिए काफी था। दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से मनोविज्ञान में ग्रेजुएट होने वाली 28 साल की अनुप्रिया पटेल के इसी भाषण ने उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत कराई थी।
यह भी पढ़े: Pratapgarh: अमित शाह करते रहे इंतजार, राजा भइया चले समाजवाद के साथ
15 साल बाद अनुप्रिया ने न केवल अपना दल को एक अच्छी तरह से स्थापित राजनीतिक संगठन और भाजपा का एक दृढ़ सहयोगी बना दिया है, बल्कि ओबीसी मतदाताओं के बीच अपनी एक अलग पहचान भी बना ली है। अनुप्रिया पटेल ने पिछले कुछ सालों में न केवल अपनी पार्टी को मजबूत किया है, बल्कि चुनावी रूप से महत्वपूर्ण वोट बैंक को भी मजबूत किया है। मायावती की तरह ही अनुप्रिया पटेल को उत्तर प्रदेश में बहन जी कहकर संबोधित किया जाता है।
कैसे हुई राजनीति में एंट्री?
अनुप्रिया पटेल ने साल 2012 में बड़े तौर पर राजनीति में कदम रखा था। उस दौरान पटेल ने वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट पर बसपा के रमाकांत सिंह को 17000 से ज्यादा वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी। साल 2016 में पहली बार केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनने के बाद उनकी छवी और ज्यादा बढ़ गई थी।
ये वही समय था जब पटेल परिवार में झगड़ा शुरू हो गया था और अनुप्रिया पटेल को अपना दल को अलग कर, अपना दल एस से शुरू करना पड़ा था। अनुप्रिया पटेल को मिर्जापुर की जनता दो बार प्रतिनिधित्व करने का मौका दे चुकी है। इस बार के चुनाव में अनुप्रिया पटेल हैट्रिक लगाने के लिए तीसरी बार इस सीट से पर्चा दाखिल कर चुकी हैं।
बता दें, कि मिर्जापुर लोकसभा सीट (Lok Sabha Election 2024) एक ऐसी सीट हैं जहां से किसी को भी तीन बार सांसद बनने का मौका नहीं मिला है।इसके साथ ही इस बार राजा भैय्या का गढ़ माने जाने वाले प्रतापगढ़ में एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में की गई सभा में राजा भैय्या की तरफ इशारा करते हुए कही गई बातें कहीं अनुप्रिया पटेल को भारी न पड़ जाए।