नई दिल्ली। देश में लंबे समय तक शासन में रही Congress पार्टी आज अपने सबसे बुरे दौर में हैं। लोकसभा में सीटों के मायनों से सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाली पार्टी की हालत यह हैं कि पिछले दो चुनाव में पार्टी को विपक्ष में रहने जीतने सीट भी नही मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 44 तो 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को महज 52 सीटें मिली। ऐसे में आगामी चुनाव में सत्ता में वापसी से पहले पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती एक मजबूत विपक्ष बनने की भी होगी। ताकि अगर लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम पार्टी के हित में नहीं होता है तो लोकसभा में विपक्ष के तौर पर सरकार को टक्कर दे सकें।
राज्यों में महज 30% सीटों पर Congress पार्टी के उम्मीदवार
एक तरफ जहां बीजेपी के नेतृत्व में NDA सरकार अपने 400 पार के नारे के साथ मैदान में उतरी है वहीं दूसरे तरफ कांग्रेस इस चुनाव को किसी तरह जीतना चाह रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले दो चुनाव में करारी हार और फिर लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के बावजूद क्षेत्रीय पार्टियों के साथ सीट शेयरिंग पर पार्टी के वश का कुछ भी ना चलना, इस बात के संकेत हैं कि पार्टी लोकसभा में जीत के किसी भी तरह के समझौते को स्वीकार कर सकती हैं और कर भी रही है। इस चुनाव में पार्टी द्वारा लोकसभा के 545 सीटों पर अभी तक 278 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जा चुकी हैं और कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जानी बाकी हैं। मतलब हुआ कि पार्टी इस बार 300 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 10-20 सीटों का इजाफ़ा हो सकता है। लेकिन इससे ज्यादा नही होगा।आकंडों की बात करें तो देश सबसे बड़े लोकसभा सीटों वाले राज्यों में पार्टी को महज 30 % सीटें भी नहीं मिली। कुछ मुख्य राज्यों की सीटें
Congress को गठबंधन में मिली सीटें
राज्य
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कांग्रेस को गठबंधन में मिली सीटें
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उत्तर प्रदेश (80)
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17 |
महाराष्ट्र (48) | 17
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बिहार (40) | 9
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तमिलनाडु (39) | 9
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पश्चिम बंगाल (42)
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13 |
जम्मू कश्मीर (5) | 2
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दिल्ली (7) | 3 |
पिछले 10 सालों में Congress द्वारा लड़े गए सीटों की संख्या
वर्ष | कांग्रेस द्वारा लड़े गए सीटों की संख्या | कांग्रेस द्वारा जीते गए सीटों की संख्या |
1989 | 510 | 197 |
1991 | 487 | 232 |
1996 | 529 | 140 |
1998 | 477 | 141 |
1999 | 453 | 114 |
2004 | 417 | 145 |
2009 | 440 | 206 |
2014 | 464 | 44 |
2019 | 421 | 52 |
अपने नेताओं का पार्टी से रिश्ता तोड़ना सबसे बड़ा कारण
एक तरफ पार्टी को सीटों पर समझौता करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ पार्टी को अपने नेताओं का पार्टी से रिश्ता खत्म करना भी खल रहा होगा। पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, समेत कई राज्यों के 2 दर्जन से भी अधिक नेताओं पार्टी छोड़ दी। हालांकि इस दौरान दूसरे पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस का दामन जरूर थामा लेकिन उनकी संख्या उंगलियों पर गिनने जितनी रही।
हर चुनाव में पिछड़ी Congress
वर्तमान में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी और देश के राजनीतिक अतीत में लंबे समय तक सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी के रुप में देखि जानी वाली कांग्रेस के बीच अब मामला एक तरफा हो गया हैं। खास कर पिछले दो भाजपा बनाम कांग्रेस के चुनावी नतीजों में, कांग्रेस एक तरीके से पूरी तरफ साफ हो गई। परिणाम बताते हैं कि 2009 के लोकसभा चुनावों में 173 सीटों पर भाजपा बनाम कांग्रेस में सीधा मुकाबला था। इन 173 सीटों में कांग्रेस 54% तो बीजेपी 46 सीटों पर सफल रही। लेकिन अगले दो चुनाव में बीजेपी ने पूरी तरीके से कांग्रेस का सफाया कर दिया। 2014 के चुनाव में दोनों पार्टी 189 सीटों पर आमने सामने थी। जिसमें 166 सीटें मिली तो कांग्रेस को सिर्फ 23 सीटों से संतोष करना पड़ा। यह जंग 2019 में जारी रहा और बीजेपी 190 सीटों में 92 % सीटों पर कांग्रेस का सफाया करने में सफल रही।
सीट के साथ वोट शेयर भी गिरा
देश की दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी Congress का प्रदर्शन हर दूसरे चुनाव में गिरता रहा। कभी लोकसभा में अपने दम पर 400 सीटें लाने वाली पार्टी आज लोकसभा में 2 अंकों में सिमट गई हैं। पार्टी के सीटों के साथ साथ वोट शेयर भी गिरावट होती रही। आंकड़ों के हिसाब से पार्टी को पिछले 3 चुनावों में बीजेपी के वोट शेयर और कांग्रेस के वोट शेयर में काफी अंतर देखने को मिला।
वर्ष बीजेपी कांग्रेस
- 2009 41 42.6
- 2014 50.9 34.7
- 2019 56.5 35.3