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बीजेपी NCP से अलग होगी? RSS पत्रिका ने अजित पवार के साथ गठबंधन पर प्रश्न उठाया और हार की वजह बताई

Maharashtra Politics: भाजपा का महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में बुरा प्रदर्शन इसलिए हुआ कि बीजेपी ने अजित पवार की पार्टी NCP के साथ गठबंधन किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक मराठी मैग्जीन ने इसका दावा किया है। वास्तव में, भाजपा को महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भारी हार मिली। भाजपा को इस हानि के बाद ही ये लेख एक RSS से जुड़ी मैग्जीन में प्रकाशित हुआ।

by Mayank Yadav
July 17, 2024
in Breaking, Latest News, Loksabha election 2024, TOP NEWS, राजनीति
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Maharashtra Politics
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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में अजित पवार के साथ भाजपा के गठबंधन को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, पिछले महीने हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा को भारी नुकसान हुआ था। राज्य में करारी हार के बाद अब आरएसएस से जुड़ी एक मराठी पत्रिका ने एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

आरएसएस ने जताई आपत्ति

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी एक मराठी पत्रिका ने अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ भाजपा के गठबंधन पर आपत्ति जताई है। पत्रिका में दिए गए लेख में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा, क्योंकि भाजपा ने अजित पवार की पार्टी एनसीपी के साथ गठबंधन किया था।

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‘कार्यकर्ता निराश नहीं, बल्कि भ्रमित हैं’ शीर्षक से प्रकाशित लेख

आरएसएस की पत्रिका ‘विवेक’ में ‘कार्यकर्ता निराश नहीं, बल्कि भ्रमित हैं’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित हुआ है। लेख में भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कमी को भी खराब चुनावी प्रदर्शन का एक कारण बताया गया है। यह ताजा लेख आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ में प्रकाशित एक अन्य लेख के कुछ सप्ताह बाद आया है।

शिंदे की शिवसेना गुट के साथ भाजपा का गठबंधन स्वाभाविक 

पत्रिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना गुट के साथ भाजपा का गठबंधन ‘स्वाभाविक’ था जिसे मतदाताओं ने स्वीकार किया। हालांकि, जब अजित पवार की एनसीपी सामने आई तो भावना विपरीत दिशा में चली गई।

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आरएसएस पत्रिका के लेख में आगे कहा गया है कि ‘लोकसभा चुनाव में हार के कारणों पर चर्चा करते समय, लगभग हर कार्यकर्ता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन पर चर्चा करने लगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा कार्यकर्ता एनसीपी को साथ लेकर नहीं चलना चाहते थे।’

भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा

भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार की एनसीपी से मिलकर बने महायुति गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से केवल 17 सीटें जीतीं, जबकि 2019 में उसे 41 सीटें मिली थीं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी से मिलकर बने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने 30 सीटें जीतीं, जो 2019 के चुनावों से कहीं बेहतर है।

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लोकसभा के नतीजों ने इस नाराजगी को और हवा दी

लेख में आगे कहा गया है कि शिंदे सेना के साथ भाजपा का गठबंधन हिंदुत्व पर आधारित है और इसलिए ‘स्वाभाविक’ है। कुछ अड़चनों के बावजूद, हिंदुत्व एक आम कड़ी है और गठबंधन (भाजपा और शिवसेना के बीच) का दशकों पुराना इतिहास है, मतदाताओं को यकीन था कि यह गठबंधन स्वाभाविक है। लेकिन एनसीपी के साथ आने के बाद यह भावना दूसरी चरम पर जाने लगी। फिर, लोकसभा के नतीजों ने इस नाराजगी को और हवा दी। बेशक, राजनीतिक नेताओं या पार्टियों के अपने-अपने हिसाब होते हैं।’

लेख में यह भी दावा किया गया है कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो कार्यकर्ताओं को नेता बनाती है, लेकिन अब कार्यकर्ताओं को लगता है कि यह प्रक्रिया उलट गई है। लेख में विपक्ष द्वारा भाजपा के खिलाफ ‘वाशिंग मशीन’ के तंज का भी जिक्र किया गया है।

Tags: BJP-RSSMaharashtra Politics
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