Mukhtar Ansari Case: माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। बीती रात मुख्तार जेल में बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। देर रात उनकी मौत की आधिकारिक पुष्टि की गई। मुख्तार अंसारी पूर्वांचल क्षेत्र में अपराध की दुनिया का एक प्रमुख चेहरा थे।
मुलायम सिंह यादव की सरकार के कार्यकाल के दौरान मुख्तार अंसारी का उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी प्रभाव था। उसके खिलाफ कार्रवाई करने के किसी भी प्रयास के परिणामस्वरूप अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई। इसका जीता-जागता उदाहरण पूर्व डीएसपी शैलेन्द्र सिंह हैं, जिन्होंने मुख्तार (Mukhtar Ansari Case) के पास से लाइट मशीन गन (एलएमजी) बरामद की थी, लेकिन उन्हें अपने खिलाफ कार्रवाई का सामना करना पड़ा और इस्तीफा देना पड़ा।
डीएसपी शैलेन्द्र सिंह ने कहा-
पूर्व डीएसपी शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि यह जनवरी 2004 की बात है। उस समय मैं एसटीएफ में था और हम प्रशासन की अनुमति से फोन कॉल इंटरसेप्ट करते थे। इस दौरान यह बात सामने आई कि सेना का एक भगोड़ा व्यक्ति लाइट मशीन गन लेकर भागा है और मुख्तार अंसारी उसे एक करोड़ रुपये में खरीदना चाहता है। इसके पीछे वजह यह थी कि वह कृष्णा नंद राय की हत्या करना चाहता था।
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उनकी कार बुलेटप्रूफ़ राइफल की गोलियों का सामना कर सकती थी, लेकिन एलएमजी उसे भेद देती थी। हमने उसे पकड़ लिया, एलएमजी बरामद कर ली और उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने मुख्तार को रिहा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। मैंने कहा कि यह संभव नहीं है और उसका नाम शुरुआत में ही लिख दिया।
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बाद में कहा गया कि जांच में उनका नाम नहीं लिखा जायेगा, लेकिन मैंने उससे भी इनकार कर दिया। उसके बाद अपनी सरकार बचाने के लिए मुख्तार के खिलाफ केस चलाने की इजाजत नहीं दी गई और मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए और 15 दिन बाद मुझे इस्तीफा देना पड़ा। सभी को उम्मीद थी कि हमारी टीम को प्रमोशन मिलेगा, लेकिन हालात बदल गए और रातों-रात वाराणसी रेंज के अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया।