लखनऊ। माफिया मुख्तार अंसारी की गैंगस्टर मामले में इलाहबाद हाईकेर्ट से जमानत अर्जी मंजूर कर दी गई है, हालांकि अदालत ने सजा पर अभी कोई रोक नहीं लगाई है. सजा पर सुनवाई जारी रहेगी. कोर्ट ने 29 अप्रैल को मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी. मुख्तार अंसारी पिछले 12 वर्ष 4 महीने से जेल में बंद थे. बता दें कि हाईकोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद 20 सितंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया गया था.
माफिया को मिली थी 10 साल की सजा
बता दें कि मुख्तार अंसारी पर गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा लगाए गए 5 लाख के जुर्माने पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई गई थी. बचाव पक्ष का कहना है कि मुख्तार अंसारी को जितनी सजा सुनाई गई है उससे ज्यादा वह ट्रायल के दौरान भुगत चुका है इस मामले में कोर्ट ने बांदा जेल अधीक्षक से भी रिपोर्ट मांगी थी.
2009 हत्याकांड से जुड़ा मामला
गौरतलब है कि बांदा जेल अधीक्षक की ओर से कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की गई थी. 2009 में करडां के सबुआ निवासी कपिल देव सिंह हत्याकांड और मुहम्मदाबाद के मीर हसन की हत्या के प्रयास की साजिश रचने के मामले को गैंगचार्ट में शामिल करते हुए पुलिस ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज किया था. इस मामले में अदालत में सुनवाई चल रही थी.
जेल से बाहर आने पर बना हुआ है संदेह
माफिया मुख्तार अंसारी पिछले 12 साल से जेल में बंद है. लेकिन अब हाईकोर्ट बड़ी राहत देते हुए माफिया को जमानत दे दी है. बता दें कि अभी इनकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई है और ऐसे में माफिया से माननीय बने मुख्तार अंसारी का जेल से बाहर आने में संदेह है. इस मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई थी.