PM Modi : लोकसभा चुनाव 2024 ने इस साल अपना बेहतरीन रंग दिखाया। सभी चरणों की समाप्ति के बाद अब परिणामों पर सभी की नज़र बनी हुई है। इसके साथ ही कन्याकुमारी में पीएम मोदी (PM Modi) ने क विशेष साधना भी की जिसकी जगह-जगह चर्चाएं हो रही हैं। और अब इन चर्चाओं के बीच पीएम नरेंद्र मोदी का एक लेख सामने आया है। इस लेख में उन्होंने इस देश के प्रति अपनी भावनाओं को काफी अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है।
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि, वास्तव में, 2024 के चुनाव में कई सुखद संयोग बने हैं। इस अमृतकाल के प्रथम लोकसभा चुनाव में मैंने प्रचार अभियान मेरठ से शुरू किया जो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणास्थली है। मां भारती की परिक्रमा के दौरान मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई। जो संत रविदास जी की तपोभूमि है हमारे गुरुओं की भूमि। इसके बाद मुझे कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठने का अवसर मिला।
इसके साथ ही उन्होंने अपने इस लेख ये बातें कही
मेरे प्यारे देशवासियों,
लोकतंत्र की जननी में लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व का एक पड़ाव अपने पूरे हो रहे हैं। तीन दिन तक कन्याकुमारी में आध्यात्मिक यात्रा के बाद, अब मैं दिल्ली जाने के लिए हवाई जहाज में बैठा हूं…काशी और अनेक स्थानों पर मतदान चल रहा है। इतने सारे अनुभव, इतनी सारी अनुभूतियाँ…मैं एक असीम ऊर्जा का संचार महसूस कर रहा हूँ।
24 के इस चुनाव में कई सुखद संयोग बने हैं। इस अमृतकाल के प्रथम लोकसभा चुनाव में मैंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से प्रचार अभियान शुरू किया। मां भारती की परिक्रमा करते हुए मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई, जो संत रविदास जी की तपोभूमि है। हमारे गुरुओं की भूमि। इसके बाद मुझे कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठने का अवसर मिला। उन शुरुआती पलों में, चुनाव का कोलाहल मन-मस्तिष्क में गूंज रहा था। रैलियों और रोड शो में अनगिनत चेहरे मेरी आंखों के सामने आ रहे थे। माताओं, बहनों, और बेटियों के प्रेम का ज्वार, उनका आशीर्वाद, और उनका विश्वास मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। मैं उन सभी अनुभवों को महसूस कर रहा था और मेरी आंखें नम हो रही थीं। मैं शून्यता में जा रहा था साधना में प्रवेश कर रहा था।
कन्याकुमारी में साधना का नया संकल्प
कुछ ही क्षणों में राजनीतिक विवाद, आरोपों के शब्द, और वार-पलटवार शून्य में समाहित हो गए। मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया, और मैं बाह्य जगत से पूरी तरह से अलग हो गया। इस बड़े दायित्व के बीच, साधना कठिन होती है, लेकिन कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने मुझे साहस दिया। मैं अपने चुनाव को अपनी काशी के मतदाताओं के चरणों में छोड़कर यहाँ आया। मैं ईश्वर का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इन संस्कारों का जन्म से पहले ही उपहार दिया। मैं सोच रहा था कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी साधना के समय क्या अनुभव किया होगा, और मेरी साधना उसी तरह के विचार प्रवाह में बह रही थी।
कुछ ही क्षणों में राजनीतिक विवाद, आरोपों के शब्द, और वार-पलटवार शून्य में समाहित हो गए। मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया, और मैं बाह्य जगत से पूरी तरह से अलग हो गया। इस बड़े दायित्व के बीच, साधना कठिन होती है, लेकिन कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने मुझे साहस दिया। मैं अपने चुनाव को अपनी काशी के मतदाताओं के चरणों में छोड़कर यहाँ आया। मैं ईश्वर का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इन संस्कारों का जन्म से पहले ही उपहार दिया। मैं सोच रहा था कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी साधना के समय क्या अनुभव किया होगा, और मेरी साधना उसी तरह के विचार प्रवाह में बह रही थी।
इसके साथ ही PM Modi ने इस लेख को समाप्त करते हुए कहा कि,
साथियों,
स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “प्रत्येक राष्ट्र का संदेश देने का, एक मिशन को पूरा करने का, और एक भविष्य को पहुंचने का एक उद्देश्य होता है।” भारत हजारों वर्षों से इसी भावना के साथ आगे बढ़ता आया है। भारत ने हमेशा विचारों के अनुसंधान का केंद्र बनाया है। हमने हमेशा अर्जित किया है, और हमें कभी अपनी व्यक्तिगत पूंजी मानकर नहीं तौला है। इसलिए, ‘इदं न मम’ भारत के चरित्र का एक प्राकृतिक हिस्सा बन गया है।
भारत के कल्याण से विश्व का कल्याण, और भारत की प्रगति से विश्व की प्रगति का एक बड़ा उदाहरण हमारी स्वतंत्रता का आंदोलन है। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। उस समय दुनिया के कई देश गुलामी में थे। भारत की स्वतंत्रता से उन देशों को भी प्रेरणा और बल मिला, और उन्होंने भी आजादी प्राप्त की। अब हालात जैसे कि कोरोना महामारी ने भी यह दिखाया है कि जब गरीब और विकासशील देशों को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं, तो भारत के सफल प्रयासों से तमाम देशों को हौसला और सहयोग मिला।