धर्म की राजनीति करते प्रधानमंत्री PM Modi
जोंधले ने न्यायालय से मांग की है कि वह इलेक्शन कमीशन को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, यानी ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट’ के तहत प्रधानमंत्री को छह साल तक चुनाव लड़ने से रोक दे। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी को धार्मिक पूजास्थलों और देवताओं के नाम पर वोट मांगने से रोकने का निर्देश देना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि PM Modi ने 9 अप्रैल को पीलीभीत, उत्तर प्रदेश में भाषण देते समय आचार संहिता का उल्लंघन किया।
याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ क्या आरोप लगाया है?
लाइव लॉ के अनुसार, याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल हिंदू और सिख देवताओं और उनके पूजास्थलों के नाम पर वोट मांगे, बल्कि विपक्षी राजनीतिक दलों को मुसलमानों के पक्षधर बताते हुए उनके खिलाफ टिप्पणियां कीं। याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी भारत सरकार के विमानों और हेलिकॉप्टरों में बैठकर देश भर में भाषण देने वाले हैं।
जोंधले का कहना है कि पीएम मोदी के भाषण जाति और धर्म के आधार पर वोट देने वालों में नफरत पैदा कर सकते हैं। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग से भी इस बारे में शिकायत की है। इसमें उन्होंने कहा किPM Modi ने राम मंदिर का निर्माण, करतारपुर साहिब कॉरिडोर का विकास और गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां अफगानिस्तान से वापस लाया। शिकायत में कहा गया है कि चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
PM मोदी का किस भाषण चर्चा का विषय है?
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने 9 अप्रैल को पीलीभीत में एक चुनावी रैली में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भगवान राम का अपमान करते हुए राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा दिया। साथ ही, उन्होंने कांग्रेस को उसके घोषणापत्र पर निशाना साधा और कहा कि ऐसा लगता है कि यह मुस्लिम लीग का नहीं उनका घोषणापत्र है।
साथ ही, उन्होंने कहा कि बीजेपी शिक्षा के साथ दृढ़ता से खड़ी है। PM ने भी लंगर उत्पादों पर जीएसटी माफी और करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के बीजेपी सरकार के निर्णय पर चर्चा की।