Rahul Gandhi: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद Rahul Gandhi का आज अमेरिका में तीसरा दिन है। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर भारत-चीन सीमा मुद्दे को उठाया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन से ठीक से निपट नहीं पाए। राहुल गांधी ने वाशिंगटन डीसी के नेशनल प्रेस क्लब में मीडिया से बात की।
राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि पीएम मोदी ने अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा को ठीक से संभाला है, इस पर कांग्रेस नेता ने कहा, अगर आप हमारे क्षेत्र के 4,000 वर्ग किलोमीटर में चीनी सैनिकों को रखने को किसी चीज को ठीक से संभालना कहते हैं, तो शायद चीनी सैनिकों ने लद्दाख में दिल्ली के आकार की जमीन पर कब्जा कर लिया है। मुझे लगता है कि यह एक आपदा है।
अमेरिकी क्षेत्र पर कब्जा तो क्या होगी प्रतिक्रिया ‘
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई पड़ोसी आपके क्षेत्र के 4000 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लेता है तो अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या कोई राष्ट्रपति यह कहकर बच निकल पाएगा कि उसने इसे ठीक से संभाला है? इसलिए मुझे नहीं लगता कि पीएम मोदी ने चीन को ठीक से संभाला है। मुझे लगता है कि कोई कारण नहीं है कि चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र में बैठे रहें।’ पिछले साल भी इसी तरह का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी पर लद्दाख में भारत-चीन सीमा की स्थिति पर विपक्ष से झूठ बोलने का आरोप लगाया था, साथ ही उन्होंने कहा कि चीन ने भारतीय क्षेत्र को छीन लिया है।
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इसी दौरान राहुल गांधी से बांग्लादेश की स्थिति के बारे में भी सवाल किया गया, जिस पर उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश के साथ हमारे पुराने संबंध हैं। मुझे लगता है कि भारत को बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों के बारे में चिंता है और हम उनमें से कुछ चिंताओं को साझा करते हैं। हालांकि, मुझे विश्वास है कि बांग्लादेश में चीजें स्थिर हो जाएंगी और हम मौजूदा सरकार या किसी अन्य सरकार के साथ संबंध बनाए रखने में सक्षम होंगे।’
Rahul Gandhi ने जाति जनगणना के बारे में भी बात की
इससे पहले कांग्रेस सांसद Rahul Gandhi ने जाति जनगणना के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत भारतीय नगण्य हैं। भारत का 90 प्रतिशत हिस्सा या तो आदिवासी, निचली जाति या दलित या अल्पसंख्यक है, लेकिन देश के शासन, विभिन्न संस्थानों और मीडिया में उनकी भागीदारी कम है। हम जो प्रस्ताव दे रहे हैं वह जाति जनगणना के समान एक सर्वेक्षण है, ताकि भारत में सत्ता की साझेदारी की पारदर्शी, यथार्थवादी तस्वीर मिल सके।