नई दिल्ली: भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य L1 आज यानी 2 सितंबर की सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। आदित्य L1 बनाने में कितने वैज्ञानिकों की भूमिका है? भारत के लिए सूर्य मिशन कितना महत्वपूर्ण है?
सालों की मेहनत ने भरी उड़ान
भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य L1 अपनी मंजिल के लिए निकल चुका है। करीब 4 महीने में आदित्य L1 धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर सूरज और धरती के बीच L1 पॉइंट पर पहुंचेगा। 2012 में इसरो में आदित्य L1 को लेकर चर्चा हुई थी, और करीब 10 साल बाद उड़ान भरी गई है। मतलब 10 साल से ज्यादा समय तक कड़ी मेहनत के बाद लॉन्चिंग का दिन आया।
1980 से शुरू हुई थी सूर्य मिशन की तैयारी
भारत ने चांद पर पहुंचने के बाद सूरज के पास भी पहुंचने का सपना देखा है। जिसे 4 महीने में पूरा करने का अनुमान लगाया जा रहा है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार जब भारत में 16 फरवरी 1980 को पूर्ण सूर्य ग्रहण हुआ था। उस समय तत्कालीन आईआईए के फाउंडर डारेक्टर ने एम के वेणु बाप्पु ने जगदेव सिंह सूर्य को बाहरी वातावरण को स्टडी करने को कहा था। जिसके बाद 1980 से 2010 तक ग्रहण को स्टेडी करने का प्रयास किया गया, लेकिन 5-7 मिनट में अध्यन नहीं हो पा रहा था। जिसके बाद उन्होंने स्टडी के लिए इसरो और अन्य एजेंसियों में बात की और 2009-2010 में आदित्य L1 मिशन को लेकर बातचीत शुरू हुई।
कितने साल तक L1 पॉइंट पर रहेगी आदित्य
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस मिशन पर कड़ी मेहनत की है। आदित्य L1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट-1 तक पहुंचने में 127 दिन लगेंगे। L1 के पॉइंट पर पहुंचने के बाद ही कुछ परीक्षण किया जा सकता है। अगले साल 2024 में फरवरी या मार्च से डेटा आना शुरू हो जाएगा। सैटेलाइट न्यूनतम 5 साल L1 पॉइंट पर रहेगा और 10-15 साल तक का डाटा दे सकता है।