Trekkers: ओले, ठंड, बारिश… चट्टानों में गुजारी रात, उत्तराखंड में कैसे 9 ट्रेकर्स की मौत!

Trekkers: जैसे ही उत्तराखंड प्रशासन को ट्रेकर्स के फंसे होने की खबर मिली, चंद घंटों में ही बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। जिसके बाद 13 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है।

Trekkers:  उत्तराखंड में 14500 फीट की ऊंचाई पर सहस्त्रताल में ट्रैकिंग के लिए गए Trekkers का एक समूह बर्फीले तूफान में फंस गया, जिसमें ठंड और बारिश के बीच अब तक 9 की मौत हो गई है और 13 ट्रेकर्स को बचा लिया गया है। मरने वाले सभी लोग बेंगलुरु के हैं। कर्नाटक के ट्रेकर्स का एक समूह 3 जून को सहस्त्रताल में ट्रैकिंग के लिए गया था। उस दौरान वहां बर्फीला तूफान आ गया।

खराब मौसम के कारण ये लोग रास्ता भटक गए और वहीं फंस गए। भीषण ठंड और बारिश के बीच तबीयत खराब होने से अब तक बेंगलुरु के 9 Trekkers की जान जा चुकी है। गाइड समेत 22 लोग ट्रैकिंग के लिए सहस्त्रताल गए थे। उसी दौरान ये हादसा हुआ।

सहस्त्रताल से 13 Trekkers  को बचाया गया

मंगलवार को कर्नाटक सरकार ने उत्तरकाशी जिला प्रशासन, उत्तराखंड सरकार और केंद्रीय गृह विभाग के सहयोग से वायुसेना और सिविलियन हेलीकॉप्टर के जरिए 13 लोगों को सुरक्षित बचाया। बचाव अभियान की निगरानी के लिए कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा खुद उत्तराखंड पहुंचे हैं। बता दें कि खराब मौसम के कारण बचाव अभियान में दिक्कतें आ रही हैं।

Trekkers

सहस्त्रताल में जान गंवाने वालों में पांच की पहचान सिंधु वेकेकलम, आशा सुधाकर, सुजाता मुंगुरूवाड़ी, विनायक मुंगुरूवाड़ी और प्रणीत के रूप में हुई है। अन्य चार के नाम अभी उजागर नहीं किए गए हैं।

बर्फीले तूफान में फंसकर 9 Trekkers  की मौत

जैसे ही उत्तराखंड प्रशासन को ट्रेकर्स के फंसे होने की खबर मिली, चंद घंटों में ही बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। जिसके बाद 13 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। इनमें से 11 को वायुसेना ने नैटिन पहुंचाया, जिनमें से 8 को देहरादून के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, 3 ट्रेकर्स पूरी तरह स्वस्थ हैं। वहीं, मरने वाले 5 लोगों के शव उत्तरकाशी ले जाए गए हैं। बुधवार को बारिश के कारण बचाव अभियान को बीच में ही रोकना पड़ा।

उन्हें Trekkers के फंसे होने की सूचना कैसे मिली?

पर्वतारोहण के क्षेत्र में 25 साल से काम कर रहे विष्णु प्रसाद सेमवाल से मिली जानकारी के अनुसार, ट्रैकर्स के फंसे होने की सूचना 4 जून को व्हाट्सएप ग्रुप पर एक पत्र के जरिए मिली थी। उस पत्र में किसी का नाम नहीं लिखा था, हालांकि, उन्हें मैसेज से पता चला कि ट्रैकिंग पर गए लोग खतरे में हैं। वे फंस गए हैं। उन्हें मदद की जरूरत है। उन्होंने तुरंत अधिकारियों को घटना की जानकारी दी। जिसके कुछ देर बाद ही बचाव दल सक्रिय हो गया।

हालांकि इतनी ऊंचाई पर मोबाइल काम नहीं करते, लेकिन उन्हें शक है कि कोई ट्रैकर 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कुश कल्याणी ट्रैक पर आया होगा। यहां किसी के मोबाइल से वह पत्र शहर में भेजा गया होगा। इस पत्र को देखने के बाद एसडीआरएफ ने वायुसेना के सहयोग से बचाव अभियान शुरू किया। वायुसेना के हेलीकॉप्टर चेतक और चीता ने समय रहते 13 लोगों को बचा लिया।

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रास्ता भटकने के कारण 14500 फीट की ऊंचाई पर फंसे ट्रैकर

कर्नाटक ट्रैकिंग एसोसिएशन का 25 सदस्यीय दल 3 गाइड के साथ 29 मई को उत्तर काशी के सिल्ला गांव से सहस्त्रताल गया था। उन्होंने इसके लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग से अनुमति ली थी। इसमें 21 ट्रैकर बेंगलुरु और एक पुणे का था। वहीं, तीनों गाइड उत्तराखंड के थे। यह दल 3 जून को सहस्त्रताल के लिए निकला था। लौटते समय तेज बारिश और ओले गिरने लगे। जिससे ये लोग बीच में ही फंस गए। कोहरा इतना घना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, ये लोग रास्ता भटक गए। ठंड में फंसे बहुत से लोग बीमार हो गए।

20 घंटे तक ड्राई फ्रूट्स खाकर बचाई जान

बचाए गए ट्रैकर इस कदर दहशत में हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के 20 घंटे ऐसे खौफ में बिताए कि वे इसे कभी नहीं भूल पाएंगे। अंधेरे में फंसे ट्रेकर्स को सूखे मेवे खाकर अपनी जान बचानी पड़ी। उन्हें ट्रैकिंग के दौरान हुई घटना भी याद नहीं है। जानकारी के मुताबिक, सहस्त्रताल की ऊंचाई पर करीब 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीला तूफान आया। जिसके बाद उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। ठंड इतनी थी कि सहन करना मुश्किल हो गया। कर्नाटक सरकार लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर रख रही है।

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