UP Politics : यूपी में मायावती ने क्यों कराई आकाश आनंद की वापसी, जानें क्या था कारण ?

मायावती जी ने अकाश आनंद की पार्टी में वापसी करा दी है। अब यह सवाल उठ रहा है कि बसपा उत्तर प्रदेश में किस रणनीति के तहत काम कर रही है और इसका कितना असर होगा।

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UP Politics : आकाश आनंद की बसपा में वापसी के पीछे कई कारण हैं। इसका पहला कारण यह है कि उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने वाली है और बसपा ने उपचुनावों में मजबूती के लिए तैयारी की है।
आकाश आनंद की पुनर्वापसी से उम्मीद है कि वे दलित वोटर्स को प्राप्त करने में मदद करेंगे, विशेषकर उन विधानसभा सीटों पर जहां वे भारी दबाव में हैं। दूसरा कारण यह है कि चंद्रशेखर जीत के बाद उनकी प्रशंसा में दलित समुदाय के बीच एक नया मसीहा के रूप में देखा जा रहा है। यह उनकी वापसी को राष्ट्रीय स्तर पर एक सामाजिक संदेश के रूप में भी देखा जा सकता है। मायावती के द्वारा आकाश आनंद को पुनः प्रमुख की भूमिका में लाने का भी मकसद है कि वे पार्टी के भूतपूर्व कार्यकर्ताओं के साथ संबंध सुधार सकें और दलित वोटर्स को बसपा के पक्ष में जुटाने में मदद कर सकें। इस प्रकार, आकाश आनंद की वापसी के पीछे विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और चुनावी कारण हैं, जो उत्तर प्रदेश में बसपा के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
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7 मई, 2024 को मायावती ने आकाश आनंद के खिलाफ कठोर कदम उठाए थे। उन्होंने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी पद से हटा दिया और उन्हें बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से भी बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने इसकी वजह बताई कि आकाश आनंद अभी तक परिपक्व नहीं हैं और इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार नहीं हैं।लेकिन 47 दिनों के बाद, मायावती को अपनी गलती का एहसास हुआ। आकाश आनंद की वापसी हुई और उन्हें फिर से उत्तराधिकारी के साथ ही नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद पर बहाल कर दिया गया।
चंद्रशेखर आजाद ने नगीना लोकसभा सीट से एक भारी बहुमत से जीत दर्ज की है। उन्होंने अपने विरुद्ध उतारे गए उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को महज 13,272 वोटों के अंतर से पीछे छोड़ दिया है। चंद्रशेखर को इस चुनाव में कुल 5,12,552 वोट मिले हैं, जोकि उनकी बड़ी जीत को दर्शाते हैं।

मायावती ने चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ अपने उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को उतारा था, लेकिन उनके विरुद्ध जीत का यह अंतर बड़ा है। इस जीत ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का प्रमुख चेहरा अब चंद्रशेखर आजाद हैं, जोने कांशीराम जी के सपनों को आगे बढ़ाने का काम किया है।

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