साल की शुरुआत में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी में बिडेन ने 19-22 अगस्त के बीच होने वाले (US Presidential Election) डेमोक्रेटिक कन्वेंशन के लिए सभी प्रतिनिधियों में से करीब 95 प्रतिशत प्रतिनिधियों को जीत लिया था। ऐसे में माना जा रहा है कि बिडेन के समर्थन के बाद ये प्रतिनिधि भी कमला हैरिस का समर्थन करेंगे। बिडेन के उम्मीदवारी से हटने से पहले अमेरिका के एबीसी न्यूज ने इप्सोस पोल आयोजित किया था, जिसमें डेमोक्रेटिक मतदाताओं ने बिडेन के नाम वापस लेने का 60-39 से समर्थन किया था।
ट्रम्प से पीछे रह गए बिडेन
इसके अलावा अगर ट्रम्प की बात करें तो 15-18 जुलाई के बीच होने वाले (US Presidential Election) रिपब्लिकन कन्वेंशन के बाद ट्रम्प का वोट प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से पता चला है कि बिडेन पर ट्रम्प की बढ़त 13 जुलाई के 1.9 अंकों से बढ़कर 3.2 अंकों पर पहुंच गई है। ट्रंप के लिए 43.5 प्रतिशत और बाइडन के लिए 40.2 प्रतिशत वोट शेयर का अनुमान लगाया गया है। दरअसल, अमेरिका में राष्ट्रपति पद का फैसला वोटों से नहीं बल्कि ईवी से होता है। ऐसे में अनुमान लगाया गया कि बाइडन ईवी सिस्टम में काफी पीछे हैं।
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हैरिस को दो चीजों से होगा फायदा
मेलबर्न विश्वविद्यालय के चुनाव विश्लेषक एड्रियन ब्यूमोंट ने कमला (US Presidential Election) हैरिस की उम्मीदवारी पर अपना विश्लेषण दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि हैरिस बनाम ट्रंप चुनाव का विश्लेषण करना अभी जल्दबाजी होगी, फिलहाल उन्होंने हैरिस की उम्मीदवारी को उचित बताया है। चुनाव विश्लेषक ने दो चीजों की ओर ध्यान दिलाया है। उन्होंने कहा कि दो चीजें हैं, जिनकी वजह से हैरिस को फायदा हो सकता है।
उम्र के मामले में हैरिस को बढ़त मिलेगी
एड्रियन ब्यूमोंट ने कहा कि अमेरिका में आर्थिक आंकड़ों में सुधार हुआ है और (US Presidential Election) महंगाई कम हुई है, इसका सीधा फायदा हैरिस को मिल सकता है। इसके अलावा चुनाव के समय बाइडन की उम्र 82 साल होगी, जबकि हैरिस की उम्र उस समय 60 साल होगी। दूसरी ओर, ट्रंप 78 साल के हैं, इसलिए उम्र का मुद्दा जो बिडेन के लिए परेशानी का सबब था, अब हैरिस के लिए फायदेमंद हो सकता है। फिर भी, ऐसे उम्मीदवार का चयन करना जो प्राइमरी में नहीं चुना गया हो, काफी जोखिम भरा हो सकता है।
नया उम्मीदवार लाना समझदारी भरा कदम- चुनाव विश्लेषक
हालांकि, बिडेन की उम्र मतदाताओं के लिए चिंता का विषय है और वह पहले से ही ट्रंप से पीछे चल रहे हैं। ऐसे में डेमोक्रेट्स के लिए नया उम्मीदवार लाना समझदारी भरा कदम है। चुनाव विश्लेषकों ने कहा कि दूसरे देशों में भी इस तरह के कदम पहले उठाए जा चुके हैं।