Uttar Pradesh: लोकसभा चुनाव में इस बार उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सीटें आधी से भी कम रह गई हैं, जिसमें 7 केंद्रीय मंत्री भी हारने वालों में शामिल हैं। इसका असर आगामी एनडीए सरकार 3.0 पर पड़ सकता है। नई सरकार में यूपी की भागीदारी कम हो सकती है और हारने वाले मंत्रियों की जगह नए चेहरों को मौका मिल सकता है।
साल 2019 में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से बीजेपी समेत एनडीए के कुल 65 सांसद थे, लेकिन इस बार एनडीए का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और यह संख्या घटकर 35 रह गई। जाहिर है कि कम सांसदों की वजह से इस बार यूपी की भागीदारी केंद्र में भी कम होगी। इसमें जातीय समीकरण को साधना भी महत्वपूर्ण होगा।
इन नेताओं को मिल सकती है मंत्रिमंडल में जगह
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, जानकारों का मानना है कि इस बार एनडीए सरकार में यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा तथा योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को ब्राह्मण चेहरे के रूप में शामिल किया जा सकता है।
ओबीसी चेहरे के रूप में भोला सिंह, छत्रपाल गंगवार, पंकज चौधरी और विनोद बिंद में से दो लोगों को शामिल किया जा सकता है। वहीं, दलित समुदाय को साधने के लिए सतीश गौतम, अनूप वाल्मीकि और एसपी सिंह बघेल में से दो को मंत्री बनाया जा सकता है।
यह भी पढ़े: क्या हैं Nitish Kumar की वो मांगे जिसे मानना बीजेपी की बनी मजबूरी?
यूपी में 11 मंत्रियों मे से 7 को मिली हार
बीजेपी ने इस बार यूपी से पीएम मोदी समेत 11 मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से 7 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, भानु प्रताप सिंह वर्मा (जालौन), संजीव बालियान (मुजफ्फरनगर), अजय मिश्र टेनी (लखीमपुर खीरी), कौशल किशोर (मोहनलालगंज) और साध्वी निरंजन ज्योति (फतेहपुर) चुनाव हार गए। वहीं, योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद (पीलीभीत) और अनूप प्रधान वाल्मीकि (हाथरस) ने जीत हासिल की।
दिल्ली में सात जून को एनडीए की एक बैठक होने वाली है, जिसमें नई केंद्र सरकार के स्वरूप पर चर्चा होगी। इसमें राज्यों की भागीदारी और मंत्रियों की संख्या पर भी निर्णय लिया जा सकता है। बैठक में पीएम मोदी समेत एनडीए के सभी घटक दल शामिल होंगे।