कौन कर रहा है अनिल अंबानी के डूबते बिजनेस को संभालने की कोशिश क्या है उनका बिजनेस प्लान

अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल और जय अंशुल इंटरनेशनल एजुकेशन और रणनीति से पिता के बिजनेस को संवारने में जुटे हैं। कर्ज कम हो रहा है, लेकिन चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं।

Anil Ambani sons lead business revival with strategy amid debt challenges

Anil Ambani’s Sons, Business Strategy: अनिल अंबानी, जो एक समय भारत के सबसे अमीर बिजनेसमैन माने जाते थे, आज भारी कर्ज से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में उनके बेटे जय अनमोल अंबानी और जय अंशुल अंबानी उनके बिजनेस को फिर से खड़ा करने की कोशिशों में जुटे हैं। दोनों ने इंटरनेशनल लेवल पर पढ़ाई की है और अब बिजनेस की बागडोर संभाल रहे हैं।

जय अनमोल अंबानी: बड़े बेटे की शिक्षा और करियर

स्कूलिंग: मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से पढ़ाई की। फिर ब्रिटेन के सेवन ओक्स स्कूल गए।

हायर एजुकेशन: यूके की वॉरिक बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया।

करियर की शुरुआत: 2014 में रिलायंस म्यूचुअल फंड में ट्रेनी के रूप में काम शुरू किया। 2017-18 में रिलायंस कैपिटल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बने।

पब्लिक प्रोफाइल: मीडिया से दूर रहते हैं, लेकिन ग्रुप की फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

जय अंशुल अंबानी: छोटे बेटे की पढ़ाई और करियर

स्कूलिंग: मुंबई के अमेरिकन स्कूल से इंटरनेशनल बैकालॉरिएट प्रोग्राम किया।

हायर एजुकेशन: न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस से मैनेजमेंट की पढ़ाई की।

करियर की शुरुआत: 2019 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में ट्रेनी के रूप में शुरुआत की। अब रिन्यूएबल एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में सक्रिय हैं।

पब्लिक प्रोफाइल: अंशुल भी लो-प्रोफाइल रहते हैं, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार उन्हें लग्जरी लाइफस्टाइल पसंद है।

अनिल अंबानी का कर्ज और कानूनी लड़ाई

RCom पर कर्ज: मार्च 2025 तक ₹40,000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज है।

SBI का एक्शन: कंपनी के लोन को “फ्रॉड” घोषित किया गया है।

ED की जांच: ₹17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड केस में समन भेजा गया है।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर: FY25 में ₹3,300 करोड़ का कर्ज चुका चुकी है।

रिलायंस पावर: कंपनी में सुधार के संकेत दिख रहे हैं।

क्या दो बेटे बदल पाएंगे हालात?

जय अनमोल और जय अंशुल की मेहनत से ग्रुप की कुछ कंपनियां मुनाफे में लौट रही हैं।

एसेट सेल और रीस्ट्रक्चरिंग से कर्ज कम हो रहा है।

नए प्रोजेक्ट्स खासकर डिफेंस और ग्रीन एनर्जी में फोकस बढ़ा है।

कानूनी चुनौतियां अभी बाकी हैं, लेकिन प्रयास जारी हैं।

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