Gold Rate Today : सोमवार को सोने की कीमतों में लगातार चौथे दिन तेजी देखने को मिली और यह लगभग दो महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसकी प्रमुख वजह सप्ताहांत में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव रहा, जिसने क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका को बढ़ा दिया है। इस तनावपूर्ण माहौल ने निवेशकों को सुरक्षित-हेवन यानी सुरक्षित माने जाने वाले एसेट्स की ओर रुख करने पर मजबूर कर दिया। ताजा आंकड़ों के अनुसार, सोमवार सुबह 0246 GMT पर हाजिर सोना 0.3% चढ़कर 3,442.09 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया। सत्र की शुरुआत में यह कीमत 22 अप्रैल के बाद का उच्चतम स्तर थी। वहीं, अमेरिकी सोना वायदा (यूएस गोल्ड फ्यूचर्स) भी 0.3% की बढ़त के साथ 3,461.90 डॉलर पर पहुंच गया।
बढ़ा सोने का आकर्षण
सोने को अक्सर भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के दौरान एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है। इस सप्ताह निवेशकों की नजरें दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति पर टिकी हैं, खासकर बुधवार को होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर। उम्मीद की जा रही है कि फेड जून बैठक में ब्याज दरों को 4.25% से 4.50% के दायरे में बरकरार रखेगा। बाजार के जानकारों को सितंबर तक 0.25% की दर कटौती की संभावना भी नजर आ रही है। भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज MCX पर भी सोना सोमवार सुबह मजबूती के साथ कारोबार करता दिखा।
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5 अगस्त डिलीवरी वाला सोना सुबह 9:32 बजे 0.13% की तेजी के साथ 1,00,406 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान-इजरायल संघर्ष की वजह से वैश्विक राजनीतिक जोखिम प्रीमियम में तेजी आई है, जिससे सोने की सुरक्षित-हेवन मांग को और बढ़ावा मिला है। फिलहाल सोना $3,400 के स्तर को पार कर चुका है और बाजार में तेजी का रुझान कायम है। जानकारों के मुताबिक, अगला प्रतिरोध स्तर $3,500 पर देखा जा रहा है, और यदि यह स्तर टूटता है तो कीमतों में और नई ऊंचाई देखने को मिल सकती है।
क्यों बढ़ती है सोने की कीमत
सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव कई कारकों पर निर्भर करता है। जब वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव, युद्ध जैसी स्थितियां या आर्थिक मंदी की आशंका होती है, तो निवेशक जोखिम भरे एसेट्स से पैसा निकालकर सोने में लगाते हैं। यह सोने को एक सुरक्षित निवेश विकल्प बना देता है। चूंकि सोना ब्याज नहीं देता, इसलिए कम ब्याज दरों के माहौल में इसकी मांग बढ़ती है। इसके उलट, अगर डॉलर कमजोर होता है, तो सोने की कीमतें आमतौर पर चढ़ती हैं, जबकि डॉलर मजबूत होने पर उनमें दबाव देखा जाता है।