Stock market : शेयर बाज़ार में गिरावट क्यों? निवेशकों को लग रहा तगड़ा झटका जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

भारत के शेयर बाजार में 30 साल बाद सबसे लंबी गिरावट जारी है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली बढ़ी, क्योंकि सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स बढ़ा दिया। यह फैसला बाजार के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

ndian stock market crash

 Indian stock market : भारत का शेयर बाजार इस वक्त ऐसी स्थिति में है, जो पिछले 30 सालों में नहीं देखी गई थी। लगातार 5 महीनों से बाजार गिर रहा है और निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है। इससे पहले 1996 में ऐसी गिरावट देखने को मिली थी। 2008 की वैश्विक मंदी और कोरोना काल में भी शेयर बाजार इतना नहीं गिरा था। इस बार गिरावट के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण सरकार का एक फैसला बताया जा रहा है, जिसने विदेशी निवेशकों को नाराज कर दिया है।

विदेशी निवेशक क्यों कर रहे हैं बिकवाली

हेलियोस कैपिटल के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी समीर अरोड़ा ने सरकार के फैसले को विदेशी निवेशकों के बाजार से निकलने की वजह बताया है। उन्होंने कहा, सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाकर बहुत बड़ी गलती कर दी है, जिससे विदेशी निवेशक पिछले 5 महीनों से बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।

समीर अरोड़ा ने बताया कि पिछले 2 महीनों में विदेशी निवेशकों (FIIs) ने 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की है। उनका कहना है कि दुनिया के बड़े निवेशक, जैसे सॉवरेन फंड्स, पेंशन फंड्स और बड़े बिजनेसमैन, जब भारत में निवेश करते हैं, तो उन्हें पहले से ही कई जोखिम उठाने पड़ते हैं। अब कैपिटल गेन टैक्स बढ़ने से वे और ज्यादा नुकसान महसूस कर रहे हैं, इसलिए वे पैसा निकालकर बाहर जा रहे हैं।

सरकार ने बजट में क्या बदला

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने का फैसला लिया। इसमें लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ (LTCG) पर टैक्स 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया। वहीं, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया।

सरकार का कहना है कि अगर कोई निवेशक लिस्टेड फाइनेंशियल एसेट्स (जैसे शेयर या म्यूचुअल फंड) को 1 साल से ज्यादा रखता है, तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। वहीं, अनलिस्टेड एसेट्स (जैसे प्रॉपर्टी) के लिए यह सीमा 2 साल रखी गई है। इन बदलावों का असर सीधे शेयर बाजार पर पड़ा है, जिससे लगातार गिरावट जारी है।

कैपिटल गेन टैक्स क्या है

कैपिटल गेन टैक्स उस मुनाफे पर लगाया जाता है, जो किसी संपत्ति (जैसे शेयर, प्रॉपर्टी, सोना) को बेचने पर मिलता है। यह दो तरह का होता है।

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG),अगर आप किसी शेयर या म्यूचुअल फंड को 12 महीने से कम समय तक रखते हैं और फिर बेचते हैं, तो आपको 20% टैक्स देना होगा (पहले 15% था)।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG),अगर आप शेयर या म्यूचुअल फंड को 12 महीने से ज्यादा समय तक रखते हैं, तो 1.25 लाख रुपये से ऊपर के मुनाफे पर 12.5% टैक्स देना होगा (पहले 10% था)।

प्रॉपर्टी और सोने पर भी नए टैक्स रेट लागू कर दिए गए हैं, जिससे निवेशकों को और ज्यादा टैक्स देना पड़ रहा है।

क्या सरकार को अपने फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए

समीर अरोड़ा का मानना है कि सरकार को कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने का फैसला वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत को विदेशी निवेशकों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें आकर्षित करने के लिए टैक्स छूट देनी चाहिए।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि भले ही सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में 10 से 11 अरब डॉलर का कैपिटल गेन टैक्स इकट्ठा किया हो, लेकिन इसका लॉन्ग टर्म नुकसान बहुत ज्यादा हो सकता है। अगर विदेशी निवेशक लगातार बाजार से पैसा निकालते रहे, तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।

निवेशकों को क्या करना चाहिए

अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो इस समय जल्दबाजी में कोई फैसला न लें। बाजार में गिरावट के बाद हमेशा सुधार होता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर सरकार टैक्स नीति में बदलाव नहीं करती, तो बाजार में और गिरावट हो सकती है। ऐसे में लॉन्ग टर्म निवेशक बाजार की स्थिति को समझकर ही फैसला लें।

Exit mobile version