Neeraj Chopra’s Inspiring Success Journey: नीरज चोपड़ा का बिजनेस से पहला जुड़ाव उनके पिता की वजह से हुआ। उनके पिता पहले बीज और कीटनाशक बेचते थे। बाद में वे दिल्ली की लाजपत राय मार्केट में इलेक्ट्रॉनिक सामान का थोक व्यापार करने लगे। नीरज को 18 साल की उम्र में हांगकांग भेजा गया ताकि वो अपने चाचा के साथ काम करके अनुभव ले सकें। वहां उन्होंने लगभग 10 साल बिताए और चीन से सामान मंगाकर भारत में बेचना सीखा। ये अनुभव उनके लिए बहुत काम आया।
शुरुआती असफलताएं और सीख
2010 में चाचा के निधन के बाद नीरज को हांगकांग छोड़ना पड़ा और वे दिल्ली लौट आए। यहां आकर उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय में हाथ बंटाया, साथ ही रियल एस्टेट और पावर बैंक का काम भी किया, लेकिन इन कोशिशों में खास सफलता नहीं मिली। इन अनुभवों ने उन्हें सिखाया कि असफलता भी सीखने का एक मौका होती है।
जोबॉक्स की शुरुआत कैसे हुई
2020 में नीरज को एक अनोखा आइडिया आया। उन्होंने सोचा कि जब पुरानी कारों का कारोबार चल सकता है तो पुराने मोबाइल का क्यों नहीं? उन्होंने 50 लाख रुपये की पूंजी से दिसंबर 2020 में ‘जोबॉक्स’ नाम से कंपनी शुरू की। शुरुआत में उन्होंने 8-10 लोगों की टीम के साथ फ्रेंचाइजी मॉडल अपनाया और पहला स्टोर बड़ौदा में खोला।
मॉडल में बदलाव और नई दिशा
कोरोना महामारी के दौरान ऑपरेशन से जुड़ी दिक्कतें सामने आईं। रिपेयरिंग और डिलीवरी में देरी, स्टॉक की कमी जैसी समस्याएं आने लगीं। इसलिए नीरज ने नवंबर 2022 में फ्रेंचाइजी बंद कर दी और सीधे बिक्री पर ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने ‘Zobiz’ ऐप लॉन्च किया, जिससे ग्राहक सीधे खरीदारी कर सकें। यह कदम जोबॉक्स के लिए टर्निंग प्वाइंट बन गया।
आज करोड़ों का टर्नओवर
अब जोबॉक्स दो तरह के फोन बेचती है। ‘जोबॉक्स सर्टिफाइड फोन’ (खुद मरम्मत किए गए) और ‘जोबॉक्स रेटेड फोन’ (अमेजन-फ्लिपकार्ट से खरीदे गए, जांचे-परखे और रेटिंग के साथ)। ये फोन छोटे दुकानदार खरीदकर आगे बेचते हैं। कंपनी अब B2B और B2C दोनों ग्राहकों को सेवा देती है और इसका टर्नओवर 20 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। नीरज अब 70 लोगों की टीम के साथ करोल बाग, दिल्ली में 6000 स्क्वायर फीट ऑफिस से बिजनेस चला रहे हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि मेहनत, धैर्य और सही सोच से कोई भी ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।