Buisness news: घर बैठे समान मंगाना लोगों को इतना आसान पड़ गया है कि ज्यादातर लोग सिर्फ ऑनलाइन ही शॉपिंग करना चाहते है।आजकल ऑनलाइन शॉपिंग और क्विक कॉमर्स ने पारंपरिक किराना दुकानों के लिए परेशानी बढ़ा दी है। जोमैटो, जेप्टो और स्विगी जैसी कंपनियां बहुत तेज़ी से सामान डिलीवर कर रही हैं, और लोग अब घर बैठे अपनी ज़रूरत की चीज़ें मंगा लेते हैं। इससे किराना दुकानों का कामकाज बदलता जा रहा है।
किराना दुकानों की संख्या में गिरावट
शहरी इलाकों में कमी: 2015-16 और 2022-23 के बीच, शहरी इलाकों में किराना दुकानों की संख्या में 9.4% (करीब 11.50 लाख दुकानें) की गिरावट आई है।
गांव के इलाकों में भी असर: ग्रामीण इलाकों में भी पिछले साल से 56,000 दुकानों की कमी आई है, जो यह दर्शाता है कि बदलाव केवल शहरों में नहीं, बल्कि गाँवों में भी हो रहा है।
किराना दुकानों में गिरावट के कारण
नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों ने किराना दुकानों पर गहरा प्रभाव डाला। नोटबंदी के कारण नकदी की कमी और जीएसटी की जटिलता ने छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचाया। इन कारणों से कई पारंपरिक किराना दुकानें बंद हो गईं, जिससे उनके मालिकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।
ऑनलाइन और क्विक कॉमर्स का असर
ऑनलाइन और क्विक कॉमर्स का प्रभाव किराना दुकानों पर गहरा है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने घर बैठे सामान मंगाने की सुविधा देकर ग्राहकों को आकर्षित किया है। त्वरित डिलीवरी सेवाओं ने इस प्रवृत्ति को और तेज कर दिया है, जिससे पारंपरिक किराना दुकानों को ग्राहकों और व्यापार में बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
क्या किराना दुकानें खत्म हो रही हैं?
इसका जवाब थोड़ा सा मुश्किल है। हां, बड़े शहरों में ऑनलाइन दुकानों की बढ़ती संख्या किराना दुकानों के लिए चुनौती बन गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ये दुकानें पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी। अभी भी बहुत सी दुकानें ऐसे इलाकों में हैं जहां ऑनलाइन डिलीवरी की सुविधाएं कम हैं।