SEBI bans PIFL trading-भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने पाचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस (PIFL) और छह अन्य संस्थाओं पर अगले आदेश तक शेयर बाजार में लेनदेन करने पर रोक लगा दी है। SEBI ने पाया कि PIFL और इन संस्थाओं ने प्रेफेरेंशियल अलॉटमेंट से फायदा उठाया। यह कंपनी होटलों, लॉजिंग और कंसल्टेंसी सेवाओं से जुड़ी है, लेकिन इसके शेयरों में अचानक 372% का उछाल आया, जो संदेह पैदा करता है।
पंप-एंड-डंप योजना का खुलासा
SEBI के अनुसार, PIFL के शेयरों में पंप-एंड-डंप योजना चलाई गई थी दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच कंपनी के शेयर की कीमत ₹21.02 से ₹78.2 तक बढ़ गई। यह बढ़ोतरी कंपनी के मूलभूत आंकड़ों से मेल नहीं खाती। खास बात यह है कि शेयर का पी/ई अनुपात 4 लाख के पार चला गया, जबकि आम तौर पर 20 से 25 का अनुपात बेहतर माना जाता है।
प्रेफेरेंशियल अलॉटमेंट और कर्ज का खेल
जांच में पता चला कि PIFL ने छह संस्थाओं से ₹1,000 करोड़ का कर्ज लिया और इसे शेयरों में बदल दिया। SEBI का कहना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य सार्वजनिक निवेशकों को नुकसान पहुंचाना और जुड़ी संस्थाओं को फायदा देना था। इन शेयरों की लॉक इन अवधि 11 मार्च 2025 को खत्म होनी है, लेकिन SEBI ने इसे लेकर सतर्कता बरतने की बात कही है।
कंपनी के फंडामेंटल्स पर सवाल
SEBI के सदस्य अश्विनी भाटिया ने बताया कि कंपनी का प्रबंधन एक सुनियोजित योजना के तहत काम कर रहा था। FY22 और FY23 में कंपनी ने ऑपरेशनल इनकम नहीं दिखाई, और FY24 में ₹1.07 करोड़ की आय केवल खराब ऋण वसूली और ब्याज आय से थी। इसके बावजूद, शेयर की कीमतें असामान्य रूप से बढ़ती गईं। कंपनी के ऑडिटर्स GSA एंड एसोसिएट्स LLP की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।
निवेशकों को नुकसान से बचाने की जरूरत
SEBI ने साफ किया है कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई जरूरी है। शेयर बाजार में ऐसी गड़बड़ियों से आम निवेशक बड़ा नुकसान उठा सकते हैं। SEBI ने यह भी सुनिश्चित करने की बात कही कि लॉक-इन अवधि के दौरान शेयर बाजार में न बेचे जाएं।
पी/ई अनुपात समझें
अगर आपको पी/ई अनुपात समझ नहीं आता, तो जान लें कि इसका मतलब प्राइस-टू-अर्निंग है। यह बताता है कि कंपनी का एक शेयर कितनी कमाई कर रहा है। सामान्य तौर पर 20 से 25 का अनुपात अच्छा माना जाता है। ज्यादा पी/ई का मतलब है कि शेयर से बहुत उम्मीदें हैं या वह ओवरबॉट है।
SEBI की कार्रवाई का मकसद
SEBI की इस कार्रवाई का मकसद निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। PIFL और अन्य संस्थाओं की संदिग्ध गतिविधियों ने बाजार में भरोसे को नुकसान पहुंचाया है। इससे यह साफ हो जाता है कि शेयर बाजार में पारदर्शिता और सख्त नियमों की कितनी जरूरत है।