UPI चार्ज ने दिया बड़ा झटका! ₹3,000 से ऊपर ट्रांजैक्शन पर लगेगी फीस? जानिए नए प्लान की पूरी डिटेल

सरकार 3,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर एक बार फिर एमडीआर शुल्क लागू करने पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर के बढ़ते खर्च को संतुलित करना है। हालांकि, छोटे लेनदेन पर यह शुल्क नहीं लगेगा और उन्हें छूट मिलती रहेगी। लेकिन बड़े अमाउंट के ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट फीस लागू हो सकती है। इस पहल से डिजिटल भुगतान प्रणाली को मजबूती मिलेगी और ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाओं में भी कमी आने की संभावना है।

Charges On UPI Payments

Charges On UPI Payments : सरकार यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) लेनदेन को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव पर विचार कर रही है। नई नीति के तहत ₹3,000 से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) दोबारा लागू किया जा सकता है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को उनके इंफ्रास्ट्रक्चर और संचालन से जुड़ी लागत को वहन करने में सहायता प्रदान करना है। जानकारी के मुताबिक हालांकि छोटे लेनदेन पहले की तरह ही शुल्क मुक्त रहेंगे, लेकिन बड़े ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट से एक निश्चित फीस ली जा सकती है। यह बदलाव जनवरी 2020 से लागू ‘जीरो-एमडीआर’ नीति में एक बड़ा संशोधन होगा।

पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स का क्या है कहना ?

हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय, आर्थिक मामलों के विभाग और वित्तीय सेवा विभाग के बीच एक बैठक में इस संभावित एमडीआर ढांचे पर चर्चा हुई थी। इस बैठक में मौजूदा व्यवस्था के चलते बैंकों और फिनटेक कंपनियों पर पड़ रहे वित्तीय दबाव का विश्लेषण किया गया। यूपीआई वर्तमान में भारत में करीब 80% रिटेल डिजिटल पेमेंट का जरिया बन चुका है। पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स का कहना है कि बड़े ट्रांजैक्शन को प्रोसेस करने में उन्हें भारी खर्च उठाना पड़ता है, और जीरो-एमडीआर नीति के चलते निवेश में रुचि भी कम हो रही है। 2020 से अब तक यूपीआई पर्सन-टू-मर्चेंट ट्रांजैक्शन का कुल मूल्य 60 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है, जो इसकी व्यापक स्वीकार्यता और उपभोक्ता भरोसे को दर्शाता है।

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया का सुझाव

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुझाव दिया है कि बड़े मर्चेंट ट्रांजैक्शन पर 0.3% एमडीआर लागू किया जा सकता है। इसकी तुलना में क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर यह दर 0.9% से 2% तक होती है, हालांकि इसमें रूपे कार्ड शामिल नहीं है। मौजूदा जानकारी के अनुसार, रूपे क्रेडिट कार्ड को अभी एमडीआर दायरे से बाहर रखा जाएगा। एमडीआर वह शुल्क होता है जो व्यापारी बैंक या भुगतान सेवा प्रदाता को डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने के बदले में देते हैं। वर्तमान में यूपीआई और रूपे डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर कोई एमडीआर नहीं है, जो 2020 की नीति के तहत लागू है।

दो-तीन महीने में होगा बदलाव

यह निर्णय अगले एक-दो महीनों में लिया जा सकता है। इसके लिए सरकार विभिन्न हितधारकों जैसे बैंक, फिनटेक कंपनियां और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से सलाह-मशविरा कर रही है। यदि प्रस्तावित नीति लागू होती है, तो इसका फोकस केवल यूपीआई को बढ़ावा देने पर नहीं, बल्कि पूरे डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को लंबे समय तक टिकाऊ और मजबूत बनाने पर होगा।

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एक और बड़ा बदलाव यह होगा कि यूपीआई ऐप्स पर अब केवल बैंक-रजिस्टर्ड नाम ही दिखाई देंगे, जिससे लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ेगी और धोखाधड़ी की आशंका कम होगी। यह कदम उपभोक्ताओं को यह स्पष्ट जानकारी देगा कि वे किसे भुगतान कर रहे हैं। कुल मिलाकर, यह प्रस्ताव डिजिटल पेमेंट सेक्टर में संतुलन और स्थायित्व लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे न केवल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी बल्कि सेवा प्रदाताओं की लागत भी बेहतर तरीके से प्रबंधित हो सकेगी।

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