CBSE New Education Policy 2025:अगर आप स्कूल में सिर्फ रटकर पास होने की आदत से पढ़ाई कर रहे हैं, तो अब वक्त है अपनी सोच बदलने का। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने नई शिक्षा नीति (NEP 2020) को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बोर्ड अब ऐसा सिस्टम तैयार कर रहा है, जिसमें बच्चों की वास्तविक समझ और उनकी काबिलियत का आकलन किया जाएगा, न कि सिर्फ याद करने की क्षमता का।
नया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जल्द होगा लॉन्च
CBSE जल्द ही एक नया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू करने वाला है, जिसके जरिए यह जाना जा सकेगा कि छात्र विषयों को कितना समझते हैं और उस ज्ञान का जीवन में कैसे उपयोग कर सकते हैं। यह प्लेटफॉर्म छात्रों में 21वीं सदी की स्किल्स जैसे कि क्रिटिकल थिंकिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग और क्रिएटिविटी विकसित करने में मदद करेगा।
SAFAL: समझ पर आधारित मूल्यांकन प्रणाली
नई नीति के तहत, CBSE अब “SAFAL (Structured Assessment for Analyzing Learning)” नाम की परीक्षा शुरू करने जा रहा है। यह परीक्षा कक्षा 3, 5 और 8 के विद्यार्थियों के लिए होगी। इसका मकसद बच्चों की बुनियादी समझ और सोचने-समझने की क्षमता का मूल्यांकन करना है। SAFAL के जरिए स्कूल यह जान पाएंगे कि छात्रों को किन विषयों में अधिक सहायता और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
कक्षा 6 से 10 तक योग्यता-आधारित मूल्यांकन
CBSE ने पहले ही कक्षा 6 से 10 के लिए Competency-Based Assessment Framework लागू करना शुरू कर दिया है। इसमें विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को केवल परीक्षा पास कराने के बजाय उन्हें वास्तविक ज्ञान और उपयोगी कौशल सिखाना है।
‘रटने’ की आदत पर लगेगी लगाम
नई शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य है कि बच्चों की पढ़ाई का फोकस ‘रटने’ से हटाकर ‘समझने’ पर किया जाए। अब परीक्षा का डर नहीं, बल्कि सीखने की प्रक्रिया पर जोर दिया जाएगा। CBSE का मानना है कि परीक्षा पढ़ाई का हिस्सा होनी चाहिए, न कि सिर्फ अंतिम लक्ष्य।
भविष्य के लिए तैयार होंगे छात्र
CBSE की यह नई पहल छात्रों को सिर्फ अच्छे अंक लाने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में सफलता के लिए तैयार करने के उद्देश्य से लाई गई है। इस बदलाव के बाद भारत की शिक्षा प्रणाली और अधिक आधुनिक, उपयोगी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेगी।
CBSE की यह पहल स्कूल शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है। इससे छात्रों की वास्तविक क्षमता सामने आएगी और उन्हें भविष्य के चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा।








