Mayawati on CJI attack: देश की सर्वोच्च अदालत में मंगलवार को एक हैरान कर देने वाली घटना घटी, जब एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। सुरक्षा कर्मियों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी वकील राकेश किशोर को हिरासत में लिया और बाद में तीन घंटे की पूछताछ के बाद छोड़ दिया। घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हड़कंप मच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बसपा प्रमुख मायावती और स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई नेताओं ने इस शर्मनाक कृत्य की कड़ी निंदा की है।
कोर्ट में मचा हंगामा, आरोपी बोला – “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान जैसे ही आरोपी वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की, कोर्ट कक्ष में अफरातफरी मच गई। सुरक्षाकर्मियों ने फौरन उसे पकड़ लिया और बाहर ले गए। कोर्ट से बाहर निकलते समय वकील राकेश किशोर ने नारेबाजी करते हुए कहा – “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” बाद में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आरोपी वकील का पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। बताया जा रहा है कि पूछताछ के दौरान वकील ने अपने कदम को धार्मिक भावनाओं से जुड़ा कदम बताया, लेकिन अधिकारियों ने इसे अदालत की गरिमा पर हमला माना।
Mayawati, मोदी और राहुल गांधी ने की तीखी प्रतिक्रिया
बसपा सुप्रीमो Mayawati ने घटना को “अति-दुखद और शर्मनाक” बताया। उन्होंने कहा, “भारत के प्रधान न्यायाधीश के साथ कोर्ट में अभद्रता की कोशिश बेहद निंदनीय है, जितनी निंदा की जाए कम है। सभी को इसका उचित संज्ञान लेना चाहिए।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई से बात कर उन्हें समर्थन दिया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट परिसर में इस तरह का हमला हर भारतीय को आक्रोशित करता है। ऐसी निंदनीय हरकतों की हमारे समाज में कोई जगह नहीं है।” पीएम मोदी ने गवई के धैर्य और संयम की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने न्याय और संविधान के मूल्यों को मजबूत किया है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी घटना की आलोचना करते हुए कहा कि “CJI पर हमला न्यायपालिका की गरिमा और संविधान की भावना पर हमला है, जिसकी निंदा की जानी चाहिए।”
स्वामी प्रसाद मौर्य बोले – “मनुवादी मानसिकता का उदाहरण”
पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने हमलावर को “मनुवादी मानसिकता से ग्रसित” बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ CJI पर हमला नहीं, बल्कि न्यायपालिका पर दबाव बनाने की गंदी सोच का प्रतीक है। मौर्य ने कहा कि धर्म की आड़ लेकर अदालतों को ब्लैकमेल करने की कोशिश करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने बार काउंसिल से अपील की कि इस तरह के वकीलों का पंजीयन स्थायी रूप से समाप्त किया जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाने की हिम्मत न करे।
अदालत की गरिमा पर सवाल, देशभर में नाराजगी
CJI पर हमले की इस घटना ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि न्यायपालिका की संस्था पर हमला है। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस कृत्य को “लोकतंत्र के स्तंभ पर वार” बताया। अब सवाल उठ रहा है कि अदालत जैसी सर्वोच्च संस्था की सुरक्षा में ऐसी चूक कैसे हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के आदेश दिए हैं।