Kanpur Police News: यूपी पुलिस की छवि को धूमिल करने वाला एक बड़ा मामला सामने आया है। कानपुर में लंबे समय तक तैनात रहे और वर्तमान में मैनपुरी में सीओ (पुलिस उपाधीक्षक) के पद पर कार्यरत ऋषिकांत शुक्ला पर 100 करोड़ रुपये की अकूत और बेनामी संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप लगा है। कानपुर पुलिस की एसआईटी (विशेष जांच दल) की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है और शासन ने उनके खिलाफ विजलेंस जांच के आदेश दिए हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि ऋषिकांत शुक्ला को जेल में बंद कुख्यात अधिवक्ता अखिलेश दुबे के गिरोह का सदस्य भी बताया गया है, जो रेप के झूठे केस में फंसाने के लिए बदनाम है। शुक्ला ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। ऋषिकांत शुक्ला 1998 से 2006 तक कानपुर में दरोगा (उपनिरीक्षक) और फिर 2006 से 2009 तक इंस्पेक्टर (निरीक्षक) के रूप में लगभग 11 साल तक तैनात रहे थे। इस मामले ने यूपी पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया है और कई अन्य पुलिसकर्मियों के नाम भी सामने आने की आशंका है।
कानपुर के अखिलेश दुबे प्रकरण में मैनपुरी जिले के भोगांव में तैनात डीएसपी (सीओ) ऋषिकांत शुक्ला को सस्पेंड कर दिया गया है। उनके खिलाफ विजिलेंस जांच भी शुरू हो गई है। कानपुर पुलिस की एसआईटी जांच में शुक्ला के पास 100 करोड़ रुपए से अधिक की बेनामी संपत्ति होने का दावा किया गया है।… pic.twitter.com/1Ndu1N4utG
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) November 4, 2025
जांच के घेरे में सीओ: आय से अधिक संपत्ति का दावा
मैनपुरी के भोगांव सीओ पद पर तैनात ऋषिकांत शुक्ला पर अस्वाभाविक आय से अत्यधिक संपत्ति जुटाने का आरोप है। एसआईटी जांच में दावा किया गया है कि शुक्ला ने स्वयं और अपने परिजनों, साथियों और साझेदारों के नाम पर करीब 100 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है। जांच के दौरान चिह्नित 12 स्थानों पर मौजूद इन संपत्तियों का मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 92 करोड़ रुपये आंका गया है। इनमें सबसे प्रमुख है Kanpur के आर्यनगर में उनकी ग्यारह दुकानें, जो कथित तौर पर उनके पड़ोसी साथी देवेंद्र दुबे के नाम पर दर्ज हैं।
अखिलेश दुबे गैंग से तार जुड़े
इस पूरे मामले की जड़ Kanpur में एक बीजेपी नेता सतीश सतीजा को रेप के झूठे केस में फंसाने से जुड़ी है, जिसके बाद तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के निर्देश पर अधिवक्ता अखिलेश दुबे को जेल भेजा गया था। इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी जांच में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ कि अखिलेश दुबे के गिरोह में न सिर्फ वकील, बल्कि पुलिसकर्मी और पत्रकार भी शामिल थे। इसी जांच में सीओ ऋषिकांत शुक्ला का नाम भी प्रमुखता से सामने आया। तीन नवंबर को शासन में तैनात सचिव जगदीश ने प्रमुख सचिव विजलेंस विभाग को पत्र लिखकर सीओ ऋषिकांत के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में विजलेंस जांच शुरू कर कार्रवाई करने को कहा है।
10 पुलिसकर्मियों पर भी जांच की तलवार
Kanpur जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे के मददगारों की फेहरिस्त काफी लंबी बताई जा रही है। ऋषिकांत शुक्ला अकेले नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में सीओ ऋषिकांत शुक्ला समेत दस पुलिसकर्मियों को चिह्नित किया गया है जिनके खिलाफ जांच जारी है। ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश दुबे ने अपने आसपास खाकी का एक जाल बुन रखा था। इस जांच से अभी और भी कई पुलिसकर्मियों के नाम सामने आने की संभावना है, जिससे विभाग में और खलबली मच सकती है।
