Anil Kumble respected leader in Indian cricket भारतीय क्रिकेट में कई बार ऐसे नाम हैं जिन्हें आज भी लोग बेहद इज्जत और मोहब्बत से याद करते हैं। खासकर सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी, जिनका फैनबेस आज भी बहुत मजबूत है। लेकिन, टीम इंडिया में एक खिलाड़ी ऐसा भी था जिसकी मौजूदगी में ये दिग्गज भी कुछ नहीं बोलते थे। ये बात कही है वीरेंद्र सहवाग ने, जिन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि अनिल कुंबले की टीम में कितनी इज्जत थी।
“सचिन-गांगुली-राहुल भी नहीं बोलते थे कुछ”
सहवाग ने बताया, “मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार किसी को सचिन पाजी, दादा (गांगुली) और राहुल द्रविड़ पर गुस्सा होते देखा, और वो थे अनिल कुंबले। वो एक ऐसे कप्तान थे जिनसे कोई बहस नहीं करता था। जब बाकी लोग गुस्सा होते थे तो हम पलटकर बोल देते थे’क्या बोल रहे हो?’ लेकिन कुंबले के गुस्से के आगे सब चुप हो जाते थे।” सहवाग ने आगे कहा, “टीम में उनकी ऐसी इज्जत थी कि चाहे कोई भी खिलाड़ी हो, सब सिर झुकाकर बात करते थे। जब वो नाराज़ होते थे, तो हम बस चुपचाप सुन लेते थे और चले जाते थे।”
क्यों था अनिल कुंबले का इतना सम्मान?
अनिल कुंबले सिर्फ एक शानदार गेंदबाज़ ही नहीं, बल्कि बेहतरीन लीडर भी थे। उन्होंने भारतीय टीम के लिए 132 टेस्ट और 271 वनडे मैच खेले। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 619 विकेट और वनडे में 337 विकेट चटकाए। उनकी गेंदबाज़ी के आंकड़े भले ही सबको दिखते हों, लेकिन उनके अंदर की लीडरशिप और सच्ची स्पोर्ट्समैनशिप ही उन्हें इतना बड़ा इंसान बनाती थी। टीम के सीनियर प्लेयर्स भी उनकी बात को अहमियत देते थे, क्योंकि वो सिर्फ कप्तान नहीं, एक सच्चे मार्गदर्शक भी थे।
क्रिकेट में अनुशासन की मिसाल थे कुंबले
अनिल कुंबले का व्यवहार हमेशा संतुलित रहा। वो ना तो बेवजह किसी से उलझते थे, ना ही किसी को नीचा दिखाते थे। लेकिन जब बात टीम के हित की होती थी, तो वो सख्ती से भी पेश आते थे। यही वजह थी कि उनके सामने बड़े-बड़े सितारे भी खुद को शांत रखते थे।