Priyank Panchal : भारतीय क्रिकेट में यह बात अक्सर चर्चा में रहती है कि यहां कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ न्याय नहीं होता। घरेलू क्रिकेट को लंबे समय से राष्ट्रीय टीम तक पहुंचने का एक अहम जरिया माना गया है। खिलाड़ी सालों तक रणजी, विजय हजारे और दलीप ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंटों में प्रदर्शन करते हैं, यह सपना लिए कि एक दिन भारत की जर्सी पहनने का मौका मिलेगा। लेकिन कई बार मेहनत और प्रदर्शन के बावजूद भी यह सपना अधूरा रह जाता है।
कई खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्ड्स बनाए, लगातार प्रदर्शन किया, लेकिन उन्हें भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। वहीं कुछ खिलाड़ी सिर्फ आईपीएल में चमकने के बाद सीधा टीम इंडिया में शामिल हो जाते हैं। अब इस ‘अनदेखी’ की फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ गया है — प्रियांक पंचाल, जिन्होंने अब क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कह दिया है।
एक और विदाई… लेकिन सन्नाटा
जहां विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों के संन्यास को मीडिया में खूब जगह मिली, वहीं प्रियांक पंचाल की विदाई को वैसी पहचान नहीं मिल पाई। हालांकि, भारतीय क्रिकेट की असल समझ रखने वाले और घरेलू क्रिकेट पर नजर रखने वाले लोग जानते हैं कि प्रियांक पंचाल कौन हैं और उन्होंने किस स्तर की मेहनत की है।
प्रियांक पांचाल ने नहीं तोड़ा भरोसा
9 अप्रैल 1990 को गुजरात के अहमदाबाद में जन्मे प्रियांक पंचाल एक दाएं हाथ के भरोसेमंद ओपनिंग बल्लेबाज़ रहे। उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 2003 में अंडर-15 टूर्नामेंट ‘पॉली उमरीगर ट्रॉफी’ से की थी। साल 2008 में उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा और लगभग दो दशकों तक गुजरात की टीम के लिए लगातार खेलते रहे। वह कभी टीम बदलने की दौड़ में नहीं लगे, सिर्फ गुजरात के लिए समर्पित रहे।
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प्रियांक ने 2008 में लिस्ट-ए क्रिकेट में डेब्यू करते हुए पहले ही मैच में 123 रन ठोक दिए थे। रणजी ट्रॉफी में भी उनका पहला मैच शानदार रहा, जिसमें उन्होंने सौराष्ट्र के खिलाफ अपनी टीम को एकतरफा जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
विदाई में छलका दर्द
प्रियांक ने सोशल मीडिया पर संन्यास की घोषणा करते हुए एक भावुक पत्र लिखा। उसमें उन्होंने अपने दिवंगत पिता को याद किया और लिखा कि उनके पिता का सपना था कि बेटा भारत के लिए खेले। प्रियांक ने लिखा, “मैंने हर सीजन, हर मैच उसी उम्मीद से खेला कि शायद इस बार मौका मिलेगा। लेकिन अब मैं इस इंतजार को विराम देता हूं और क्रिकेट से विदाई लेता हूं।”
आंकड़े जो गवाही देते हैं
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प्रथम श्रेणी क्रिकेट: 127 मैच, 8856 रन, 29 शतक, 34 अर्धशतक, सर्वोच्च स्कोर – नाबाद 314
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लिस्ट-ए क्रिकेट: 97 मैच, 3672 रन, 8 शतक, 21 अर्धशतक, बेस्ट स्कोर – 136
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टी20 क्रिकेट: 59 मैच, 1522 रन, 9 अर्धशतक
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गेंदबाजी: घरेलू क्रिकेट में कुल 24 विकेट