नई दिल्ली डिजिटल डेस्क। नहीं भूला देश और न ही भूली जनता। न भूलने देंगे वह जख्म, जो पाकिस्तान के आतंकवादियों ने हिन्दुस्तान की आर्थिक राजधानी मुम्बई में 26 नवंबर 2008 को दिए। न ही भूलेंगा एक-एक भारतवासी उन रणबांकुरों की जांबाजी। जिन्होंने सीने पर गोली खाकर सैकड़ों इंसानों की जान बचाई। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस के अवसर पर मुम्बई आतंकी हमले का जिक्र कर शहीदों को नमन किया। ऐसे में हम आपको उस खतरनाक आतंकी हमले के दौरान सीधे आतंकियों से दो-दो हाथ करने वाले रियल लाइफ के ‘सिंघम’ आईपीएस से रूबरू कराने जा रहे हैं। जिन्होंने बिना बुलेटब्रूफ जैकेट के टेरिरिस्ट से भिड़ गए और एक विलेन को ढेर दिया। .. तो आइए जानते हैं जांबाज पुलिस अधिकारी आईपीएस विश्वास नागरे पाटिल के बारे में। जिन्होंने कई मीडिया संस्थानों को दिए इंटरव्यू के दौरान विस्तार से मुम्बई हमले की दास्तां बयां की।
26 नवंबर को हुआ था मुम्बई में आतंकी हमला
भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई, जहां पर बॉलीवुड के अभिनेता-अभिनेत्रियां रहती हैं। एशिया के दिग्गज कारोबारियों के आवास हैं। समुद्र के किनारे बसा मुम्बई शहर, करोड़ों लोगों के दिल में राज करता था। पर पाकिस्तान में बैठे आतंकियों ने मुम्बई को गहरा जख्म देने की साजिश रची। 26 नवंबर 2008 का वो काला दिन जब पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला कर दिया था और 4 दिनों तक गोलीबारी के अलावा कई जगहों पर विस्फोट किए थे। इस हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जबकि 600 ज्यादा लोग घायल हुए थे। आज मुंबई को हिलाकर रख देने वाले इस हमले के पूरे 16 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसकी यादें आज भी ताजा हैं।
9 आतंकी मारे गए, एक जिंदा पकड़ा गया
4 दिन के ऑपरेशन में भारतीय सुरक्षाबलों ने 9 आतंकियों को मार गिराया था, जबकि आमिर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था, जिसे 2012 में फांसी दी गई थी। 29 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज महल होटल में गोलीबारी के दौरान भारतीय सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला था, जब आतंकियों ने हमला किया था। हमले के दौरान ताज होटल में करीब 700 से अधिक गेस्ट मौजूद थे और यहां 4 दिनों तक ऑपरेशन चला था। आतंकी हमले के बाद ताज होटल के गुंबद से निकलता धुआं मुंबई आतंकी हमलों की पहचान बन गया। 29 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकवादियों के खात्में के बाद ताज महल होटल आतंकियों के कब्जे से मुक्त हो गया। इस ऑपरेशन में मुम्बई पुलिस के जांबाज आईपीएस विश्वास नांगरे पाटील ने जान में खेलकर करीब चार सौ लोगों की जान बचाई थी।
लाठी, काठी और कार्बाइन से दिया जवाब
आईपीएस विश्वास नांगरे पाटील ने मीडिया को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया, मुंबई पर हमला करने वाले 10 आतंकवादी एके-47 से लेकर आरडीएक्स तक मॉडर्न हथियारों से लैस थे, लेकिन पुलिस ने उनका बहादुरी से सामना किया। पुलिस अधिकारी विश्वास ने आगे बताया, पुलिस ने (आतंकियों की ओर से दागी गई हर गोली का) जवाब लाठी, काठी और कार्बाइन जैसे हथियारों से दिया, जो भी उनके पास थे। वे एक बार भी पीछे नहीं हटे। एएसआई तुकाराम ओंबले ने केवल एक लाठी के साथ कसाब का सामना किया। उसने ओंबले के पेट में पांच गोलियां मारीं लेकिन ओंबले अड़ गए और जरा भी पीछे नहीं हटे। अपने जिंदगी के बदले उन्होंने कसाब को गिरफ्तार करवाकर दम लिया।’
ताज होलट के अंदर घुसे आतंकी
आईपीएस विश्वास नांगरे पाटील ने मीडिया को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया, ताज होटेल में आतंकी 9 बजकर 40 मिनट पर घुसे थे और 11 मिनट के अंदर कई मासूमों की हत्या कर दी थी। जब पुलिस साइट पर पहुंची तो गोलियां चल रही थीं। उस दिन हमने भयानक नरसंहार देखा। हम सभी जानते थे कि हमें उन्हीं हथियारों और ताकत के साथ उनसे लड़ना है, जो हमारे पास हैं। हमने बहादुरी दिखाई और 10 बजकर तीन मिनट पर मोर्चा खोल दिया। विश्वास बताते हैं, हमारी कोशिश कामयाब रही और इसका असर यह हुआ कि आतंकियों को ताज की सातवीं मंजिल पर रोक दिया गया। हमने सुबह के 3 बजे तक उनकी गतिविधियों को रोककर रखा। इतने वक्त में सेना के कमांडो होटेल पहुंच गए।
लड़ाई में एक कांस्टेबल की मौत
आईपीएस विश्वास नांगरे पाटील ने बताया, लगभग 10 बजे ताज के सुरक्षा चीफ सुनील पुडियाडी ने रॉयल स्टैग गैस के पास खड़े तीन आतंकवादियों की ओर इशारा किया और मैंने तुरंत एक के पैर में गोली मारी। उन्होंने अपनी एके 47 बंदूकों से जवाबी गोलीबारी की, लेकिन हम ताज होटेल की मोटी दीवारों के पीछे छुप गए और फायरिंग में हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा। विश्वास ने बताया, हमने छठी मंजिल पर हमारे ऑपरेशन को फिर से शुरू किया। लेकिन जब हम उन्हें साउथ विंग में खोज रहे थे तो वे नॉर्थ विंग में छुपे हुए थे। हम नीचे आ गए क्योंकि हमे उनका पता नहीं चल पाया, लेकिन फिर मैंने एक ग्रेनेड विस्फोट की आवाज सुनी। मैं तुरंत दो कॉन्स्टेबल्स के साथ नॉर्थ विंग पहुंचा। आगे की लड़ाई में एक कांस्टेबल की मौत हो गई।
650 नागरिकों को बचाया
आईपीएस विश्वास नांगरे पाटील ने दिए इंटरव्यू के दौरान बताया, ताज में नौ में से चार आतंकवादी मौजूद थे। मैंने केवल अपने बॉडीगार्ड के साथ होटेल में प्रवेश किया, जहां हमारे दो प्रमुख लक्ष्य थे, पहला नागरिकों को बचाना और दूसरा आतंकवादियों की गतिविधियों को सीमित करना। हर आतंकवादी के पास 600 बुलेट्स के साथ एके-47, 25 ग्रेनेड और एक आरडीएक्स था। हमारे पास कुछ गोलियां और पिस्टल थी। उन्होंने कहा, हमारे पास उनसे निपटने के लिए पर्याप्त हथियार नहीं थे लेकिन हम ताज की बनावट को जानते थे। इसलिए सुनील पुनियाडी और सीसीटीवी कैमरों की मदद से, हम आतंकवादियों की गतिविधियों को सीमित करने में सफल रहे और 650 नागरिकों को बचाया। आईपीएस बताते हैं कि उनके हाथों एक आतंकवादी भी मारा गया।
1997 बैच के आईपीएस अफसर हैं पाटिल
महाराष्ट्र में सांगली जिले के कोकरुड के एक छोटे से ग्रामीण शहर से ताल्लुक रखने वाले विश्वास पाटील ने अपनी स्कूली शिक्षा शिराला के न्यू इंग्लिश स्कूल से पूरी की। इसके बाद 1988 में पाटील ने 10 वीं कक्षा में 88 फीसदी अंक प्राप्त किए। विश्वास ने कोल्हापुर के राजाराम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उनके घर की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव ही रहा, जिसके कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। स्नातक की पढ़ाई के बाद पाटिल ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। 25 साल की उम्र में उन्होंने साल 1997 में यूपीएसएसी परीक्षा पास कर ली और आईपीएस में सिलेक्ट हो गए। आईपीएस में आने से पहले उन्होंने एमबीए की डिग्री ली। खाकी पहनने के बाद कई जिलों बतौर एसपी काम किया और पाटिल के नाम से अपराधियों की पैंट गीली हो जाया करती थी।
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