Punjab child molestation case: पंजाब में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला और उसके प्रेमी को तीन साल की मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी करने और उसका वीडियो बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। घटना का खुलासा तब हुआ जब बच्ची के पिता, जो एक व्यवसायी हैं और अक्सर विदेश यात्रा पर रहते हैं, घर लौटे। उन्होंने अपनी पत्नी के फोन में आपत्तिजनक वीडियो देखा, जिसमें उनकी नन्ही बेटी के साथ घिनौनी हरकत की जा रही थी। वीडियो देखकर पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई और उन्होंने तुरंत Punjab पुलिस को सूचित किया।
मासूम से हैवानियत और कानून का शिकंजा
यह मामला परिवारिक विश्वासघात का सबसे घिनौना रूप है। जिस मां को अपनी बच्ची की सुरक्षा का जिम्मा होना चाहिए था, वही अपनी ही बेटी के साथ दरिंदगी करने में शामिल पाई गई। Punjab पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि महिला का एक युवक के साथ अवैध संबंध था और दोनों ने मिलकर इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि उन्होंने न केवल अपराध किया बल्कि उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की, जिससे यह संदेह होता है कि वीडियो का दुरुपयोग या वितरण करने का इरादा था।
कड़े कानून और कड़ी सजा की मांग
भारत में बाल यौन शोषण एक गंभीर समस्या है, जो अक्सर सामाजिक कलंक, डर और कानूनी जानकारी के अभाव के कारण रिपोर्ट नहीं हो पाती। ऐसे मामलों से निपटने के लिए 2012 में पोक्सो एक्ट (POCSO Act) बनाया गया था। इस कानून के तहत बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का यौन शोषण और उसका वीडियो बनाना या प्रसारित करना गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
इस मामले में भी आरोपी महिला और उसके प्रेमी के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराएं भी उन पर लगाई गई हैं, जिनमें बलात्कार, आपराधिक साजिश और यदि वीडियो प्रसारित किया गया है तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) भी शामिल है।
तकनीक बनी गुनाहगार और गुनाह का गवाह
इस मामले में तकनीक की भूमिका ने दोनों पहलुओं को उजागर किया है। एक ओर जहां स्मार्टफोन ने इस अपराध को अंजाम देने में सहूलियत दी, वहीं दूसरी ओर उसी फोन ने सबूत के रूप में गुनाहगारों को बेनकाब कर दिया। व्यवसायी पिता की बार-बार विदेश यात्राओं के कारण आरोपी महिला ने मौके का फायदा उठाया और अपराध को अंजाम दिया। हालांकि, उसने वीडियो को डिलीट न करके अपनी ही गिरफ्तारी का रास्ता खोल दिया।
पीड़िता के भविष्य और समाज के लिए सबक
तीन साल की मासूम बच्ची पर इस भयावह अपराध का गहरा मानसिक आघात पड़ा है। उसे सामान्य जीवन में लौटने के लिए लम्बे समय तक काउंसलिंग और उपचार की आवश्यकता होगी। यह घटना समाज के लिए एक कड़ा संदेश है कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति अधिक जागरूकता और सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
इस Punjab मामले ने न केवल एक परिवार को झकझोर कर रख दिया बल्कि समाज को भी आत्ममंथन के लिए मजबूर कर दिया है। अब देखना यह है कि न्यायालय इस घिनौने अपराध पर क्या सख्त कदम उठाता है।