सपा का ‘जिन्ना प्रेम’ फिर बेनकाब, विधायक मनोज पारस ने विधानसभा में जपा नाम!

यूपी विधानसभा में नगीना से सपा विधायक मनोज पारस द्वारा मोहम्मद अली जिन्ना को 'साहब' कहने पर विवाद छिड़ गया है। भाजपा ने इसे सदन की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कार्रवाई की मांग की है, जबकि पारस ने इसे देशभक्ति से जोड़ा।

Manoj Paras

Manoj Paras Jinnah Sahab Controversy: उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान उस समय राजनीतिक माहौल गरमा गया, जब बिजनौर की नगीना सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पारस ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को ‘जिन्ना साहब’ कहकर संबोधित किया। सदन में बहस के दौरान उन्होंने तर्क दिया कि विभाजन के समय भारतीय मुसलमानों ने जिन्ना के आह्वान को ठुकरा कर बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान और भारत की मिट्टी पर भरोसा जताया था। हालांकि, जिन्ना के नाम के साथ ‘साहब’ सम्मान सूचक शब्द जोड़ने पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भाजपा ने इसे राष्ट्र के नायकों का अपमान और विधानसभा की गरिमा भंग करने वाला कृत्य करार देते हुए सपा विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

क्या है पूरा मामला और विवादित बयान?

विधानसभा में एसआईआर (SIR) प्रक्रिया और वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के दौरान मांगे जा रहे दस्तावेजों पर चर्चा हो रही थी। Manoj Paras ने मुस्लिम समाज पर शक किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस वर्ग ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “बंटवारे के समय यहां के मुसलमानों ने जिन्ना साहब के आह्वान पर पाकिस्तान जाने के बजाय अपने वतन को चुना। वे डॉ. अंबेडकर के संविधान में विश्वास रखते थे।”

Manoj Paras ने आगे तर्क दिया कि मुस्लिम समाज वतन की मिट्टी से बेपनाह मोहब्बत करता है क्योंकि वे दिन में पांच बार इसी मिट्टी में सजदा करते हैं और मृत्यु के बाद इसी मिट्टी में दफन होते हैं।

कौन हैं मनोज पारस?

Manoj Paras समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं। वे बिजनौर की नगीना (सुरक्षित) सीट से लगातार तीन बार जीत दर्ज कर ‘हैट्रिक’ लगा चुके हैं। 2017 की भाजपा लहर और फिर 2022 के चुनावों में भी उन्होंने अपनी सीट बचाए रखी। 53 वर्षीय पारस ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है और वे कृषि पृष्ठभूमि से आते हैं।

भाजपा का पलटवार

भाजपा प्रवक्ताओं और नेताओं ने इस बयान को ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ का हिस्सा बताया है। भाजपा का कहना है कि जिस व्यक्ति ने देश के टुकड़े किए, उसे सदन के भीतर ‘साहब’ कहना करोड़ों भारतीयों की भावनाओं को ठेस पहुँचाना है।

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